शारदे

शारदे कृपा करो | रामभद्र संवार्णिक दंडक छंद

शारदे कृपा करो

( Sharde kripa karo )

शारदे! कृपा करो अखंड ज्ञान दान,
हूँ अबोध साधिका प्रसाद-दायिनी, l

प्रार्थना न जानती न अर्चना निकाम,
लेखनी प्रशस्त हो विचार -वाहिनी! l

शुद्ध छंद शुद्ध भाव लेखनी प्रबुद्ध,
नृत्य गीत वाद्य की प्रचण्ड नादिनी l

आपके समक्ष दीन पातकी अशक्त,
एक दृष्टि डाल दे विशाल-भावनी!ll

ज्ञान मान दान दो कृपानिधान मात!,
शारदे कृपा करो सुहंस वाहिनी!l

शुद्ध मीड़ मुर्कियाँ बसी रहे सुकंठ,
छंद गेयता प्रदान हो निनादनी! l

दूर अंधकार हो विषाद का विनाश,
उच्च दृष्टिकोण हो विशुद्ध कारिणी l

आरती उतारती विनोदिनी सुमात!,
हो प्रशस्त राह विघ्न की विनाशनी ll

Sushila Joshi

सुशीला जोशी

विद्योत्तमा, मुजफ्फरनगर उप्र

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