किसी के इ़श्क़ में | Kisi ke Ishq Mein
किसी के इ़श्क़ में
( Kisi ke Ishq Mein )
बेफ़ैज़ ज़िन्दगानी का अफ़साना बन गया।
दिल क्या किसी के इ़श्क़ में दीवाना बन गया।
फूलों के मिस्ल खिल गया हर ज़ख़्म का निशां।
जो ज़ख़्म उसने दे दिया नज़राना बन गया।
वो थे क़रीबे क़ल्ब तो ह़ासिल थे लुत्फ़ सब।
जाते ही उनके घर मिरा ग़म ख़ाना बन गया।
वो क्या गए के ख़ाक तमन्नाएं हो गयीं।
गुलज़ारे इ़श्क़ आन में वीराना बन गया।
सादा सा एक दिल था मिरे पास वो भी अब।
जल कर किसी के इ़श्क़ में परवाना बन गया।
ऐसा भी दौर गुज़रा है अपना जनाबे मन।
बैठे जहां पे हम वहीं मयख़ाना बन गया।
करने लगा है बातें ये दानिशवरों की सी।
लगता है अब फ़राज़ भी फ़रज़ाना बन गया।
पीपलसानवी