यामिनी छंद : सममात्रिकनवाक्षरी
जन्म का खादर
जन्म का खादर l घूमती घाघर l
आखिरी आदर l ओढ़ ली चादर l
क्रोध पारायण l बाँच रामायण l
दम्भ भंडारण, l कब मरा रावण l
आज भी जीवित l नारियाँ क्षोभित l
यत्न सब रोधित l कब हुए शोधित l
लोभ से लोभित l रूप पर मोहित l
हो रहे क्रोधित l चेतना लोहित ll
बेटियाँ बेबस l आधुनिकता बस l
नग्नता बेकस l रंग भी बेरस l
वासना पागल l बेसुरी पायल l
दिल हुआ घायल l मोह के कायल ll
सुशीला जोशी
विद्योत्तमा, मुजफ्फरनगर उप्र