जटायु राज | Kavita
जटायु राज
( Jatayu raj )
रावण मारीच को संग ले
पंचवटी में जाता है
मायावी बाबाजी बनकर
सीता हर के लाता है
कोई प्राण बचा लो मेरे
मेरी करूण पुकार सुनो
आकर रक्षा करो हमारी
धरा गगन जहान सुनो
स्वर सुन सीता माता का
पक्षी राज जटायु आया
रे दुष्ट क्या अनर्थ करता
दशानन को समझाया
प्रभु राम जी अवतारी है
सकल चराचर स्वामी है
जिनकी सीता तू हर लाया
वे प्रभु अंतर्यामी है
अभिमानी रावण असुर
मद में हो रहा था चूर
पक्षीराज पर वार किया
खड्ग से उसने भरपूर
पंख कटे गिरा धरा पर
घायल जटायु रहा कराह
राम राम सुमिरन करता
प्रभु मिलन की मन में चाह
सीता माता की खोज में
जब रघुनाथ जी आएंगे
जटायु राज दर्शन होंगे
भवसागर पार कराएंगे
कवि : रमाकांत सोनी
नवलगढ़ जिला झुंझुनू
( राजस्थान )