Home कविताएँ Hindi Kavita| Hindi Poem | Hindi Poetry आज के बच्चे कविताएँ Hindi Kavita| Hindi Poem | Hindi Poetry आज के बच्चे By sahit1122 - February 22, 2021 263 0 WhatsApp Facebook Twitter Pinterest Linkedin ReddIt Email Print Tumblr Telegram Mix VK Digg LINE Viber Naver आज के बच्चे आज के बच्चे ( Aaj Ke Bache ) आज के बच्चे बड़े चालाक करने लगे मोबाइल लॉक खाने पीने में होशियार रोवे जैसे रोए सियार मांगे बाप से रोज ए पैसा बोले बात पुरानिया जैसा पापा के पेंट से टॉफी खोजें नहीं मिले तो फाड़े मोजे खाए आम अनार और केला देखे घूम -घूम कर मेला घर पर करते खूब लड़ाई साथ में थोड़ी -बहुत पढ़ाई रोज न जाए ए स्कूल करें बहाना नहीं है रूल भूख लगे तो मांगे खाना काम कहो तो करे बहाना बात-बात पर ए रीसीयाए डांट पड़े तो खूब खिसियाए बड़ों की माने ना यह बात मम्मी को मारे गुस्से में लात जल्दी सुनते नहीं ए काम दिन भर करते काम बेकाम घर पर खेले हरदम खेल आए परीक्षा हो जाए फेल एक दिन जाएं दो दिन गोल समझे ना यह समय का मोल फिर भी “रूप” के प्यारे बच्चे मम्मी के राज दुलारे बच्चे कवि : रुपेश कुमार यादव लीलाधर पुर,औराई भदोही ( उत्तर प्रदेश।) यह भी पढ़ें : मोहब्बत RELATED ARTICLESMORE FROM AUTHOR कविताएँ Kavita अनमोल धरोहर कविताएँ Kavita धीरे-धीरे कविताएँ Bhojpuri Vyang नेतागिरी LEAVE A REPLY Cancel reply Please enter your comment! Please enter your name here You have entered an incorrect email address! Please enter your email address here Save my name, email, and website in this browser for the next time I comment.