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अपने ही घर में बेगाने लगते हैं | Kavita Apne hi Ghar mein
अपने ही घर में बेगाने लगते हैं ( Apne hi ghar mein begane lagte hain ) मान मर्यादा इज्जत पाने में जाने कितने जमाने लगते हैं। कैसी करवट ली वक्त ने अपने ही घर में बेगाने लगते हैं। जान छिड़कने वाले ही हमको जानी दुश्मन लगते हैं। मधुर मधुर मुस्कान बिखेरे भीतर काले मन…
मतदान जरूर करें
मतदान जरूर करें ***** लोकतंत्र के महापर्व का मजा ले लो भैया, नियत तिथि को मतदान कर चुनो भविष्य भैया। अपनी ताकत-एकजुटता का दिखलाओ एहसास, जो काम न करे, कहें उसे नो बाॅस! अच्छे उम्मीदवार को कुर्सी पर बिठाएं, गर ना हो पसंद ‘नोटा विकल्प’ दबाएं। जांच परख कर किसी को दीजिए अपना मत, लालच…
निवेदन | Kavita Nivedan
निवेदन ( Nivedan ) निवेदन है धरा से मत हो वीराना , अरदास है ईश से भूलें न कृपाना, आह्वान है आकाश सै रंग नीलिमा न बदलना, गुजारिश है बादलों से वर्षा अमृत न भूलना, आरजू है आदमी से आदिमकाल न जाना। शेखर कुमार श्रीवास्तव दरभंगा( बिहार) यह भी पढ़ें :- छोटी चीजें | Kavita…
धन्य हैं किसान | Poem in Hindi on farmer
धन्य हैं ” किसान “ ( Dhanya hai kisan) धरती के पालक मित्र किसान तुम से सुसज्जित खेत खलियान गांव में ही बसते हैं जग के प्राण, तुमको हम करे हृदय से प्रणाम ।। गांव की धरती होती उपजाऊ, हीरा, मोती उगले मिटी भी हमारी जब पसीना बहाएं हमारे किसान तब मिलती सबको अन्न…
शिक्षा की डोर कभी ना छोड़ | Poem on education in Hindi
शिक्षा की डोर कभी ना छोड़ ***** चाहे लाख दुत्कारे ज़माना कहे भला बुरा अपशब्द छोड़ना नहीं तू अपना लक्ष्य। निशाना साधे रखना कदम न पीछे खींचना मेहनत कर श्रमकण से सींचना। तन मन को समझाना- रखना है धैर्य साहस विचलित नहीं होना है, करना है न आलस। शिक्षा की डोर को सदा पकड़े रहना,…
बुनियाद | Buniyaad
बुनियाद ( Buniyaad ) पूरी ईमानदारी से केवल तीन प्रश्नों के उत्तर ही खोज लीजिए ,की अब तक आपने क्या खोया क्या पाया आपके समाज और देश ने क्या खोया क्या पाया बस, आपको जीने , जन्मने और पाने का अर्थ मिल जायेगा…. जिंदा रहना ही अगर जिंदगी है तो मान लीजिए की आप…