आज के बच्चे
आज के बच्चे
( Aaj Ke Bache )
आज के बच्चे बड़े चालाक
करने लगे मोबाइल लॉक
खाने पीने में होशियार
रोवे जैसे रोए सियार
मांगे बाप से रोज ए पैसा
बोले बात पुरानिया जैसा
पापा के पेंट से टॉफी खोजें
नहीं मिले तो फाड़े मोजे
खाए आम अनार और केला
देखे घूम -घूम कर मेला
घर पर करते खूब लड़ाई
साथ में थोड़ी -बहुत पढ़ाई
रोज न जाए ए स्कूल
करें बहाना नहीं है रूल
भूख लगे तो मांगे खाना
काम कहो तो करे बहाना
बात-बात पर ए रीसीयाए
डांट पड़े तो खूब खिसियाए
बड़ों की माने ना यह बात
मम्मी को मारे गुस्से में लात
जल्दी सुनते नहीं ए काम
दिन भर करते काम बेकाम
घर पर खेले हरदम खेल
आए परीक्षा हो जाए फेल
एक दिन जाएं दो दिन गोल
समझे ना यह समय का मोल
फिर भी “रूप” के प्यारे बच्चे
मम्मी के राज दुलारे बच्चे


कवि : रुपेश कुमार यादव
लीलाधर पुर,औराई भदोही
( उत्तर प्रदेश।)
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