आओ करे ये सतत प्रतिज्ञा | Kavita
आओ करे ये सतत प्रतिज्ञा
( Aao kare ye satat pratigya )
?☘️
नारी को सम्मान नहीं तो बताओ क्या दोगे
बेटी को घर में मान नहीं तो बतलाओ क्या दोगे
एक घर सुधरने से बोलो क्या बदलेगा
हर सोच बदलने का प्रण बोलो कब लोगे
?☘️
जब तक सारी कायनात ना बदले तो सब बेकार
जब तक अर्न्तमन ना स्वीकारे हर तरफ है हार
हर तरक्की हर ऊँचाई झूठी साबित होती है
जब तक बेटी लुट रही घर भीतर और हाट बाजार
?☘️
लेकर प्रण सब बढे आगे तब ही होगा पूर्ण उद्धार
शिक्षा खानपान रोजगार बेटी को देना होगा पुरस्कार
हर बेटी सम्मान से जिये ख्याल हर पल रखना होगा
बेटी को भी बेटो सा मिले बराबर का अधिकार
?☘️
कानून समाज और परिवेश से भी ले आओ सुधार
हर शय लगाकर जगा सको तो बदल डालो ये संसार
नारी जीवन पुण्य कर्मो का फल ही है ये जान जाओ
सृष्टि की रचेचता को पग पग क्यूं कर रहे हो शर्मसार
?☘️
कौन सम्मस्या इस नारी पर अबतक नहीं पड़ी भारी
नारी को ठेस अब ओर लगे ना है किसकी जिम्मेदारी
मानव जीवन मिला तुम्हे तो मानवता जिन्दा रहने दो
लिंग भेद करके तुमने प्रकृति भी लज्जित कर डाली
?☘️
गूंजें शंखनाद से स्वर उठो बढ़ो अब जाग जाओ सब
निष्ठुरता की पराकाष्ठा निज अज्ञान को दूर करें अब
विश्वपटलपे रौशन जगमग बेटी को इज्जत मान मिले
अन्याय अत्याचार बंद करें आओ सतत ये प्रतिज्ञा लें
?☘️
डॉ. अलका अरोड़ा
“लेखिका एवं थिएटर आर्टिस्ट”
प्रोफेसर – बी एफ आई टी देहरादून