
जल गये लोग उसको गुलाबी कहाँ!
( Jal gaye log usko gulabi kahan )
जल गये लोग उसको गुलाबी कहाँ!
फूल सा खिलता जब शबाबी कहाँ
अंजुमन में ख़िलाफ़ हो गये लोग सब
जब उसे आज अपना ज़नाबी कहाँ
हो गया है यहाँ आपस यूं फ़साद
जब उसे यूं लोगों ने शराबी कहाँ
नफ़रतों का फ़ैला मुल्क में यूं फ़साद
लोगों ने पर्दे को बेहिजाबी कहाँ
मयकशी में लुटा सब दिया पैसा है
अब रहे ठाठ उसके नवाबी कहाँ
अब मुलाक़ात होती नहीं है उससे
हो गये गुम न जाने ज़नाबी कहाँ
प्यार की बात आज़म बढ़ेगी कैसे
है लबों पर उसके ही ज़बावी कहाँ