?  ऐसा हो संसार जहाँ पर  ?

ऐसा हो संसार जहाँ पर | Sansar kavita

  ऐसा हो संसार जहाँ पर  

आओ मिलकर करें कल्पना हम ऐसे संसार की।
जहाँ भावना त्याग समर्पण प्रेम और उपकार की।।

ऐसा हो संसार जहाँ पर,
सब मिलकरके  रहते हो।
एक-दूजे को गले लगाकर
भाई -भाई कहते हो।।
सोच सभी की होनी चाहिए सृष्टि के उद्धार  की।

कर्म की पूजा होती हो वहाँ,
मेहनत का फल मिलता हो।
आपसी वार्तालापों से ही,
समस्या का हल मिलता हो।।
जहाँ कदर होती हो केवल उत्तम उच्च विचार की।

मानवता को धर्म मानकर,
जीव की सेवा होती हो।
स्वर्ग-सा संसार बने सब,
दुनिया सुख से सोती हो।।
आपस में सब बोलते हो मीठी भाषा प्यार की।

सहज, सरल, विनम्र, सच्चे,
जिसमें सब इंसान हो।
परोपकार की भावना से जहाँ,
सबका ही कल्याण हो।।
‘विश्वबंधु’ जग हितकारी पद्धति हो प्रचार की।

🌺

कवि: राजेश पुनिया  ‘विश्वबंधु’

 

 

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One Comment

  1. बहुत उम्दा सृजन।
    बधाई जी।

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