एक झटके में खो दिया
प्रतिष्ठा पुरानी,
याद करो सन् 1489 वाली
लोकतंत्र की कहानी।
जार्ज वाशिंगटन ने रखी थी
जिसकी नींव,
जड़ें जिसकी गहरी थीं अतीव।
जनतंत्र का पोषक वह!
नाम पर इसके,
न जाने कितने देशों को डराया धमकाया;
परिवर्तन सत्ता का कराया?
कालचक्र में मलीन हुई-
उसकी भी प्रणाली,
जब जनमत प्रणाली ने-
धनबल की सेवा अपना ली!
तभी तो जनवरी 6 को दिखा वह सब कुछ,
कह गया कहानी अपने में बहुत कुछ।
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