
अश्क इश्क के जब बहते हैं
( Ashq ishq ke jab bahte hain )
अश्क इश्क के जब बहते हैं प्यार भरे तरानों में
दिल की धड़कनें बढ़ जाती प्रेम के अफसानों में।
धरती अंबर आसमान भी हिलमिल जब बतलाते हैं।
मधुर तराना गीतों का दो दिल मिलकर जब गाते हैं।
रिमझिम रिमझिम बरसे नैना प्रीत झड़ी बरसे बूंद।
झरना झरता प्यार भरा दिलबर डूबते नयन मूंद।
झील सी आंखों में मोती अश्क इश्क बनकर बह जाते।
प्रेम का सागर ले हिलोरे मनमीत मिलन को जब आते।
हसीं वादियो से महकता दिलों का चमन खिल जाता।
लबों पर मोहक मुस्काने खिलता चेहरा चमक जाता।
रचनाकार : रमाकांत सोनी सुदर्शन
नवलगढ़ जिला झुंझुनू
( राजस्थान )