बाल मजदूरी बचपन छीने | Baal mazdoori kavita
बाल मजदूरी बचपन छीने
( Baal mazdoori bachpan cheene )
सीधे-साधे बच्चों का भगवान रखवाला होता है
बालश्रम करवाते उनका निकले दीवाला होता है
बच्चों का भविष्य उजाड़े उनको कैसे माफ करें
कानून की नजरों में वो तो सलाखों वाला होता है
दुष्ट प्रवृत्ति होते हैं वो लोग जो बालश्रम करवाते
भोले भाले बच्चों के जीवन में अंधकार को लाते
कितने खुशनसीब होंगे वो बालक शिक्षा पाकर
बाल मजदूरी करवाते वो सदा काल कोठरी पाते
बालश्रम जो करवाए वो संगीन अपराधी होता है
अभिशाप लगे बच्चों का वो भूगते व्याधि होता है
बचपन छीन लेने से जीवन में अंधकार हो जाता
पढ़ा लिखा योग्य बनाए वो मानव निर्माता होता है
कवि : रमाकांत सोनी
नवलगढ़ जिला झुंझुनू
( राजस्थान )