बड़ी उम्मीद से माँ ने हमारी पाला है

बड़ी उम्मीद से माँ ने हमारी पाला है

बड़ी उम्मीद से माँ ने हमारी पाला है

बड़ी उम्मीद से माँ ने हमारी पाला है
खिलाया उसने बड़े प्यार से निवाला है

झुकाया शीश है हमने उसी के चरणों में
हमारे वास्ते अब भी वही शिवाला है

जहाँ जहाँ भी बिखरने की आई थी नौबत
दुआ ने माँ की हमेशा मुझे सँभाला है

किसी के हुस्नो-तबस्सुम का है करिश्मा यह
भड़क उठी जो मुहब्बत की दिल में ज्वाला है

नई सदी ने दिखाये हैं कैसे दिन हमको
गली-गली में सियासत का बोलबाला है

नशा हो कोई भी इससे बचाना दामन को
निकाला कितनों का इसने यहाँ दिवाला है

इन्हें किसी की तबाही से कुछ नहीं मतलब
गुनाहगारों ने ईमान बेच डाला है

प्रखर ये बात सभी लोग जानते हैं यहाँ
कि खानदान हमारा ये कितना आला है

Mahendra Singh Prakhar

महेन्द्र सिंह प्रखर 

( बाराबंकी )

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