बंधु अपने दिल की सुन
बंधु अपने दिल की सुन

बंधु अपने दिल की सुन

( Bandhu apne dil ki soon )

 

चल राही तू रस्ता चुन, बंधु अपने दिल की सुन।
बंधु अपने दिल की सुन,बंधु अपने दिल की सुन।
अपनी धुन में बढ़ता जा, उन्नति शिखर चढ़ता जा।
आंधी से तूफानों से, हर मुश्किल से लड़ता जा।
हौसला करके बुलंद, गा मस्ती में प्यारी धुन।
बंधु अपने दिल की सुन बंधु अपने दिल की सुन।
विकट वक्त मुश्किलें अपार,चुनौतियां पड़ी हजार।
सूझबूझ सौम्य विचार, लुटाता जा जग में प्यार।
दुनिया में परचम लहरा, ताना-बाना ऐसा बुन।
बंधु अपने दिल की सुन, बंधु अपने दिल की सुन।
सबको गले लगाता जा, प्रेम सुधा बरसाता जा।
अपने शुभ कर्मों से प्यारे, दिल में जगह बनाता जा
जीवन की बगिया महके, छाए मस्त बहार पून।
बंधु अपने दिल की सुन, बंधु अपने दिल की सुन।

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कवि : रमाकांत सोनी

नवलगढ़ जिला झुंझुनू

( राजस्थान )

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