बसंत | Basant par Muktak
बसंत
( Basant )
आ गया मधुमास सुहाना चली मस्त बयार।
सर्दी को अलविदा कहने लगे सब नर नार।
फागुन महीना आया खिलने लगी धूप भी।
लगे पुष्प सारे महकने चमन महकी बयार।
कोहरा ओस सारे अब मधुरम चली पुरवाई।
खुशबू फैली बागानों में महक उठी अमराई।
मस्तानों की टोली आई गीत मस्त गाते सब।
मदमाता मधुमास है प्रीत रंग में दुनिया छाई।
सर्दी को विदा करने मौसम बसंत अब आ गया।
महक उठे चमन सारे हर डाली पता हरसा गया।
गीतों के तराने उमड़े मुस्कानों के मोती प्यारे हैं।
रंगों की छटा निराली है मेघ फुहारे बरसा गया।
झूम झूम नाचे सारे सर्दी अब तो नहीं सताती।
मस्त-मस्त चले बहारें सबके मन को हर्षाती।
मनमयूरा झूम के नाचे मस्ताना मौसम आया।
वासंती पून मनभावन सबके मन को भाती।
रचनाकार : रमाकांत सोनी सुदर्शन
नवलगढ़ जिला झुंझुनू
( राजस्थान )
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