बावफ़ा मिलता नहीं

बावफ़ा मिलता नहीं | Bawafa shayari

बावफ़ा मिलता नहीं

( Bawafa milta nahin ) 

 

इस नगर में ही कोई भी बावफ़ा मिलता नहीं
हम सफ़र कोई भी ऐसा आशना मिलता नहीं

 

हर तरफ अब तो दिलों में नफ़रतें पल रही
आदमी में देखिए अब देवता मिलता नहीं

 

उम्रभर ये जिंदगी मैं नाम कर दूं आपके
प्यार का ही पर इशारा आपका मिलता नहीं

 

दर बदर भटका फिरता हूँ हर गली में शहर की
ढ़ूढ़ने से भी कहीं पर आसरा मिलता नहीं

 

दुश्मनी दिल से भुलाकर हर गिले शिकवे मगर
दरमियां अब दोनों के ही फ़ासिला मिलता नहीं

 

मैं चला आता यकीकन आपको मिलनें मगर
आपका मुझको कहीं भी तो पता मिलता नहीं

 

हो जहां दिल में वफ़ा जिसके हमेशा ही भरी
हाँ मगर फ़िर दोस्ती में ही दग़ा मिलता नहीं

 

सोचता है रात दिन आज़म यही अब तो मगर
मुझको ही कोई वफ़ा का रास्ता मिलता नहीं

 

शायर: आज़म नैय्यर

(सहारनपुर )

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