बेटी मेरी परछाई | Beti Meri Parchai
बेटी मेरी परछाई
( Beti Meri Parchai )
नन्ही बिटिया जब घर आई,
खुशियों की गूंजी शहनाई,
सब ने बोला देखो मुखड़ा,
ये तो है माँ की परछाई,
भोली सूरत, चंचल आँखें,
जैसे बादल से चंदा झाँके,
नीद मे उसने ली अँगड़ाई,
सचमुच, बेटी मेरी परछाई,
किलकारी जब वो लेती है,
जैसे मुझसे वो कहती है,
मै बस तेरे लिए ही आई,
सचमुच, बेटी मेरी परछाई,
टुकटुक देखे जब आँखों से,
मै जकड़ूँ उसको बाहों से,
कितनी प्यारी सौगत है पाई,
सचमुच, बेटी मेरी परछाई।
आभा गुप्ता
इंदौर (म. प्र.)
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