कितनी मजबूर बेटियां | Beti par Kavita in Hindi
कितनी मजबूर बेटियां
( Kitni majboor betiyaan )
कितनी !मजबूर बेटियां
दंरिदगी को झेलती
शर्मिंदगी से गुजरती
लहूलुहान होती हैं
ये बेटियां
करके निर्वस्त्र
नोचते हैं छातियां
देते हैं गालियां
कितनी! बेबस
लाचार बेटियां
रोती बिलखती
हाथ जोड़ती
देकर दुहाई
इंसानियत की
चीखती हैं बेटियां
जिस्म ही नहीं
रुह भी घायल
दंश हैवानियत के
जहर का पीकर
कैसे ! अब
जी पायेंगी बेटियां
कहां !हैं वो
जो देखते हैं
मंजर ऐसा
जहां इंसानियत
होती है रूसवा
पूछती ? हैं बेटियां
दुशासन हैं कई
क्या ?हर युग में
निर्वस्त्र यूंही
होकर शर्मिंदा
होती रहेंगी
ये भारत की बेटियां
डॉ रचनासिंह “रश्मि ” ( लखनऊ )
स्वतंत्र स्तंभकार
singh79rashmi@gmail.com