बिन तेरे

बिन तेरे | Bin Tere

बिन तेरे

बिन तेरे मुझे आज भी जीना नहीं आया।
बैरी सा लगे अब तो मुझे अपना ही साया।।

कोशिश तो बहुत कर ली  भुलाने की तुम्हें  पर,
इक तेरे सिवा दूजा कोई  दिल को न भाया।।

कैसे मिले राहत मिरे टूटे हुए दिल को,
कोशिश तो  मेरी हो गई जब सारी ही  ज़ाया।।

हम आस लिए बैठे रहे अपने ही दर पर ,
क़ासिद तो कोई ख़त भी  तुम्हारा नहीं लाया।।

खुशियां सभी ममता हुईं हैं दूर यूं मुझसे,
बरसों गये हैं बीत कोई गीत न गाया।।

डॉ ममता सिंह
मुरादाबाद

डाॅ ममता सिंह
मुरादाबाद

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