Kavita | अबोध
अबोध
( Abodh ) बहुत अच्छा था बचपन अबोध,
नहीं था किसी बात का बोध।
जहाॅ॑ तक भी नजर जाती थी,
सूझता था सिर्फ आमोद -प्रमोद।
निश्छल मन क्या तेरा...
खुशियों की कैसी जिद्द तेरी | Poem Khushiyon ki Zid
खुशियों की कैसी जिद्द तेरी
( Khushiyon Ki kaisi Zid Teri )
ग़मों की वो शाम थी,बनी है लम्बी रात सी।
अन्धियारा जीवन है, अन्धियारा दूर तक।
खुशियों...
Kavita | आसिफ की आपबीती
आसिफ की आपबीती
( Asif Ki Aap Beeti )
****** लगी थी प्यास
मंदिर था पास
गया पीने पानी
थी प्यास बुझानी
समझ देवता का घर
घुस गया अंदर
नहीं था किसी का...
Ghazal | बिना तेरे
बिना तेरे
( Bina Tere )
बिना तेरे अब हमसे
और अकेले जिया नहीं जाता ।
तुम्हें भूल जाने का गुनाह भी तो
हमसे किया नहीं जाता । माना कि...
Geet | रंग गालो पे कत्थई लगाना
रंग गालो पे कत्थई लगाना
( Rang Gaalon Par Kathai Lagana)
अबके फागुन में ओ रे पिया
भीग जाने दो कोरी चुनरिया
मीठी मीठी सी बाली उमरिया
भीग जाने ...
Bhojpuri Vyang | प्रधानी
प्रधानी
( Pradhani )
1
गउंआ भा लंका बजा जब डंका
फोन गईल घर से राजधानी
आवा हो भैया कन्हैया भी आवा
भौजी लड़े अबकी प्रधानी …..
आवा हो भैया….
2
आपन सीट...
Kavita | पत्रकार हूँ पत्रकार रहने दो
पत्रकार हूँ पत्रकार रहने दो
( Patrakar Hoon Patrakar Rahne Do )
******* लिखता हूं
कलम को कलम
कागज़ को काग़ज़
ग़ज़ल को ग़ज़ल
महल को महल
तुम रोकते क्यों हो?
टोकते क्यों...
दुनिया | Poem on Duniya
दुनिया
( Duniya )
है कितनी आभासी दुनिया,
कुछ ताजी कुछ बासी दुनिया।
किसी की खातिर बहुत बड़ी है,
मेरे लिए जरा सी दुनिया।
युगों-युगों से परिवर्तित है,
फिर भी है...
Vriksh Ki Peeda | वृक्ष की पीड़ा
वृक्ष की पीड़ा
( Vriksh Ki Peeda )
काटकर मुझे
सुखाकर धूप में
लकड़ी से मेरे
बनाते हैं सिंहासन
वार्निश से पोतकर चमकाते हैं
वोट देकर लोग उन्हें बिठाते हैं
वो बैठ...
Shiv Stuti | शिव-स्तुति
शिव-स्तुति
( Shiv Stuti ) ऐसे हैं गुणकारी महेश।
नाम ही जिनका मंगलकारी शिव-सा कौन हितेश।।
स्वच्छ निर्मल अर्धचंद्र हरे अज्ञान -तम- क्लेश।
जटाजूट में बहती गंगा पवित्र उनका...