आते हैं लोग फ़क़त हमको गिराने के लिए

आते हैं लोग फ़क़त हमको गिराने के लिए

आते हैं लोग फ़क़त हमको गिराने के लिए कोई आता ही नहीं हमको उठाने के लिएआते हैं लोग फ़क़त हमको गिराने के लिए जल न जाए कहीं काशाना मुहब्बत का येलोग बैठे हैं यहाँ आग लगाने के लिए ग़म ही ग़म हमको मिले हैं यहां पे उल्फ़त मेंचश्मे-तर दे गया है कोई नहाने के लिए…

आपने क्या किया मुहब्बत में

आपने क्या किया मुहब्बत में

आपने क्या किया मुहब्बत में फ़र्क़ क्या इश्क़ और मशक्कत मेंआपने क्या किया मुहब्बत में हमने पिंजरा बना के तोड़ दियामशगला आ गया है आफ़त में और लोगों को भी सराहो तुमनइं तो फिर बैठ जाओ ख़लवत में वो कोई शै गुज़र बसर की नहींफिर भी शामिल किया ज़रूरत में ख़ुद की सोची तो ताज…

बिठा तब है मज़ा

बिठा तब है मज़ा

बिठा तब है मज़ा पास मुझको तू बिठा तब है मज़ाजाम आँखों से पिला तब है मज़ा प्यार करता है मुझे तू किस तरहबात यह खुलकर बता तब है मज़ा बज़्म में आते ही छा जाता है तूयह हुनर मुझको सिखा तब है मज़ा डस रहीं हैं मुझको यह तन्हाइयांइनसे तू आकर बचा तब है…

ताजदार करना है

ताजदार करना है

ताजदार करना है वफ़ा की राह को यूँ ख़ुशग़वार करना हैज़माने भर में तुझे ताजदार करना है भरम भी प्यार का दिल में शुमार करना हैसफ़ेद झूठ पे यूँ ऐतबार करना है बदल बदल के वो यूँ पैरहन निकलते हैंकिसी तरह से हमारा शिकार करना है ये बार बार न करिये भी बात जाने कीअभी…

उसका मज़ा ले

उसका मज़ा ले

उसका मज़ा ले गुलों सी ज़िन्दगी अपनी खिला लेजो हासिल हो रहा उसका मज़ा ले मुहब्बत हो गई है तुझको मुझसेनिगाहें लाख तू अपनी चुरा ले खरा उतरूंगा मैं हर बार यूँहींतू जितना चाहे मुझको आज़मा ले लुटा दूँगा मैं चाहत का समुंदरकिसी दिन चाय पर मुझको बुला ले घटा छाती नहीं उल्फ़त की हर…

मिरे पास ग़म के तराने बहुत है

मिरे पास ग़म के तराने बहुत है

मिरे पास ग़म के तराने बहुत है गुल-ए-दर्द के से ख़ज़ाने बहुत हैं।मिरे पास ग़म के तराने बहुत है। न हो पाएगा तुम से इनका मुदावा।मिरे ज़ख़्मे-ख़न्दां पुराने बहुत हैं। जो आना है तो आ ही जाओगे वरना।न आने के दिलबर बहाने बहुत हैं। कहां तक छुपाऊं में चेहरे को अपने।तिरे शहर में जाम-ख़ाने बहुत…

छुपा कर रक्खें

छुपा कर रक्खें

छुपा कर रक्खें हो न जाए कहीं रुसवाई छुपा कर रक्खेंइन अमीरों से शनासाई छुपा कर रक्खें फ़ायदा कुछ नहीं चतुराई छुपा कर रक्खेंमूर्ख के सामने दानाई छुपा कर रक्खें कौन करता है यक़ीं आपकी इन बातों परइसलिए अपनी ये सच्चाई छुपा कर रक्खें लालची कोई भ्रमर इसको चुरा ले न कहींफूल कलियाँ सभी अँगड़ाई…

सब अदा हो गये

सब अदा हो गये

सब अदा हो गये प्यार के वादे जब सब अदा हो गयेसारे शिकवे गिले ख़ुद हवा हो गये इस इनायत पे मैं क्यों न क़ुर्बान हूँएक पल में वो ग़म आशना हो गये उनकी क़ुर्बत से आता है दिल को सुकूंँदर्द- ओ- ग़म की वही अब दवा हो गये दिल के मुंसिफ का हर फ़ैसला…

Watan ki khushboo

वतन की आबरू हर हाल में बचानी है

वतन की आबरू हर हाल में बचानी है सियासी नफ़रतों की आग ये बुझानी हैख़ुलूस प्यार वफ़ा से ही जीत पानी है ये धर्म मज़हबों की जंग अब तो बंद करोहरेक शख़्स में इंसानियत जगानी है इरादे हमने ज़माने में कर दिये ज़ाहिरवतन की आबरू हर हाल में बचानी है सबक ये हमको बुजुर्गों से…

Tiranga

आज़ाद है

आज़ाद है कहने अपनी बात को अब हर सुख़न आज़ाद हैबंदिशें कोई नहीं अब हर कहन आज़ाद है हर गली हर शह्र और आज़ाद है ये हर पहरसाँस लेते चैन से हम ये पवन आज़ाद है नफ़रतों के दायरों को तोड़ डालो मिल के सबइल्तिजा बस अम्न की है, अब वतन आज़ाद है टूटी ज़जीरें…