आते हैं लोग फ़क़त हमको गिराने के लिए
आते हैं लोग फ़क़त हमको गिराने के लिए कोई आता ही नहीं हमको उठाने के लिएआते हैं लोग फ़क़त हमको गिराने के लिए जल न जाए कहीं काशाना मुहब्बत का येलोग बैठे हैं यहाँ आग लगाने के लिए ग़म ही ग़म हमको मिले हैं यहां पे उल्फ़त मेंचश्मे-तर दे गया है कोई नहाने के लिए…