छेंड़

छेंड़ कर | Kavita Chhed Kar

छेंड़ कर ( Chhed Kar ) छेंड़ कर इस तरह न सताया करो, रूठ जाऊॅ अगर तो मनाया करो, दिल मेरा तेरी यादों की है इक गली, याद बनकर कभी इनमे आया करो। गीत कारों ने नज्में लिखे हैं बहुत, गीत मेरे लिए भी कोई गाया करो, इस तरह से मेरी कट पाएगी नहीं, दर्दे…

श्रोताओं का आनंद

श्रोताओं का आनंद | Kavita Shrotaon ka Anand

श्रोताओं का आनंद ( Shrotaon ka Anand ) बहुत कुछ मैंने अपने गीतों कविताओं में लिखा। जिनके हर शब्दो में प्यार बहुत झालाकता है। इसलिए तो परिवर्तन की लहर चल रही है। और लोगों की देखो सोच कैसे बदल रही है।। मेरे ही शब्द अब मुझको बहुत ही चुभ रहे है। पर दुनिया के लोगों…

किस्सा कागज़ का | Kissa Kagaz ka

किस्सा कागज़ का | Kissa Kagaz ka

किस्सा कागज़ का ( Kissa Kagaz ka ) ज़िंदगी का पहला कागज़ बर्थ सर्टिफिकेट होता है। ज़िंदगी का आख़िरी कागज़ डेथ सर्टिफिकेट होता है। पढ़ाई लिखाई नौकरी व्यापार आता है काम सभी में, ज़िंदगी का सारा झमेला भी कागज़ ही होता है। चूमती है प्रेमिका महबूब का खत अपने होंठो से, प्रेम का आदान-प्रदान भी…

Udham Singh

उधम सिंह सरदार | Kavita Udham Singh Sardar

उधम सिंह सरदार ( Udham Singh Sardar ) आन-बान थे देश की, उधम सिंह सरदार। सौरभ’ श्रद्धा सुमन रख, उन्हें नमन शत बार।। वैशाखी की क्रूरता, लिए रहे बेचैन। ओ डायर को मारकर, मिला हृदय को चैन।। बर्बरता को नोचकर, कर ओ डायर ढेर। लन्दन में दहाड़ उठा, भारत का ये शेर।। बच्चा-बच्चा अब बने,…

रिमझिम बूंदों की बहार | Rimjhim Boondon ki Bahar

रिमझिम बूंदों की बहार | Rimjhim Boondon ki Bahar

रिमझिम बूंदों की बहार ( Rimjhim boondon ki bahar ) रिमझिम बूँदों की बहार आई, हरियाली चहुॅओर देखो छाई। श्रृंगार करने को आतुर धरित्री, रीति नवल अभ्यास देखो लाई। मिट्टी से सोंधी महक उठ रही, मलय सौरभ से मस्त हो रही। न भास्कर न रजनी आते गगन में, बस सावन की रिमझिम बरस रही। तन…

सूझबूझ

सूझबूझ | Soojh – Boojh

“माँ, तुम मंदिर जाती हो न?” सुधीर ने अपनी मांँ से सवाल किया। ” हांँ, जाती तो हूँ।” मांँ ने अपने बेटे के पूछे सवाल का जबाब दिया। “तब, धर्म और अधर्म ये दोनों कौन हैं? जिनके नारे जय और नाश के लिए लगाए जाते हैं।” सुधीर की बातें मां को अच्छी नहीं लगी फिर…

सावन मास | Kavita Sawan Maas

सावन मास | Kavita Sawan Maas

सावन मास ( Sawan Maas ) सावन के मास में वो, शिवजी पर जल ढारत है। बेल पत्ती और फूलों से, पूजा नित्यदिन करती हैं। मनोकामना पूरी कर दो, सावन के इस महीने में। मिलवा दो प्रभु अब मुझे, उस जीवन साथी से। जिसके सपने देख रही, मानो कितने वर्षों से। अब की बार खाली…

जलेश्वर, भिट्टामोड़ में नेपाल-भारत सीमा द्वार

हम भारत और नेपाल हैं | Kavita Nepal Bharat Sambandh Par

हम भारत और नेपाल हैं ( Hum Bharat Aur Nepal Hain )  हम भारत और नेपाल हैं एक सुदामा तो एक गोपाल हैं सदियों से हम एक हैं भिन्नताएं न अनेक है एक पहाड़ के छांव है एक ही शहर गांव है हम दोनों ठहरते हैं जहां मानो एक ही चौपाल है एक सुदामा एक…

राज़

राज़ | Kavita Raaj

राज़ ( Raaj ) दिवाली की रात आने वाली है, पर दिवाली ही क्यों? रोजमर्रा की जरूरत गरीबी ,लाचारी, सुरसा के मुंह की तरह मुंह खोल खड़ी है। जाने क्या गज़ब ढाने गई है वो? लौट के जब आएगी, चंद तोहफ़े लायेगी। भूख ,प्यास से, बिलख रही है उससे जुड़ी जि़दगीयां अचानक अचंभा हुआ—— कुछ…

सावन महिना भाता है

सावन महिना भाता है | Sawan Mahina Bhata Hai

सावन महिना भाता है ( Sawan Mahina Bhata Hai ) सावन का महीना चल रहा शिव-पार्वती जी का आराम। गृहस्थ और कुवारों को भी काम काज से मिली है छुट्टी। जिसके चलते कर सकते है शिव-पार्वती जी की भक्ति। श्रध्दा भक्ति हो गई कबूल तो मिल जायेंगे साक्षात दर्शन।। कहते है साधु-संत और भक्तगण होता…