अपनी खुशियों को पंख लगाते हैं

अपनी खुशियों को पंख लगाते हैं | Kavita

अपनी खुशियों को पंख लगाते हैं ( Apni  khushiyon ko pankh lagaate hain )   चलो अपनी खुशियों को जरा पंख लगाते हैं।?️ फिर से दोस्तों की गलियों में छुप जाते हैं।? फिर वही अल्हड़ पन? अपनाते हैं। कुछ पल के लिए अपनी जिम्मेदारियों से जी चुराते हैं।? फिर वही बचपना अपनी आंखों में लाते…

आओ हम सब मिलकर के ऑक्सीजन बनातेहैं

आओ हम सब मिलकर के ऑक्सीजन बनातेहैं | Kavita

आओ हम सब मिलकर के ऑक्सीजन बनातेहैं ( Aao hum sab milkar ke oxigen banate hai )   आओ हम सब मिलकर के कसम खाते हैं, अपने अपने जन्मदिन पर वृक्ष लगाते हैं, हम सब अपनी जिंदगी बिता रहे रो रो के आओ बच्चों का जीवन खुशहाल बनाते हैं   जंगलों को काट हम सब…

अन्नपूर्णा हो तुम घर की

अन्नपूर्णा हो तुम घर की | Kavita

अन्नपूर्णा हो तुम घर की ( Annapurna ho tum ghar ki )   संस्कार संजोकर घर में खूब ख्याल रखे घर का अन्नपूर्णा हो तुम घर की घर लगता तुमसे स्वर्ग सा   मधुर विचारों से सुसज्जित महके घर का कोना कोना नारी कर कमलों से ही प्यारा लगे घर सलोना   स्वच्छ धुले हाथों…

सीमाएं

सीमाएं | Poem in Hindi on Seema

सीमाएं ( Seemayen )   सीमाओं  की भी  एक सीमा,खींचे चित्र चितेरे, समय की गति को बांध न पाए,सीमाओं के घेरे।   सूर्य चन्द्रमा बंधे समय से ,सृष्टि करे प्रकाशित। शिक्षा  देते  मुस्काने की,जीवन करो सुवासित।   कहते रेखाएं न खींचो,वसुधा सकल परिवार। हम सीमाओं से बाहर है ,देते प्रभा एकसार।   जाति धर्म और…

हम हंसते गाते छोटे छोटे नन्हे बच्चे हैं

हम हंसते गाते छोटे छोटे नन्हे बच्चे हैं | Bal Sahitya Rachna

हम हंसते गाते छोटे छोटे नन्हे बच्चे हैं ( Bal Sahitya Rachna )   हम हंसते गाते छोटे छोटे नन्हे बच्चे हैं तुतलाती तुतलाती बोली मन के सच्चे हैं   बढ़ जाएंगे कदम हमारे खुले आसमान में अच्छे काम करेंगे हम भी भारत मां की शान में   तूफानों से टकराना तो खूब मन को…

संभव हो तो

संभव हो तो | Kavita Sambhav ho to

संभव हो तो ( Sambhav ho to )   संम्भव हो तो कुछ बातों पे, मेरे मन की करना। सूर्ख रंग के परिधान पर तुम,कमरबन्द पहना।   लट घुघरालें एक छोड़ कर, जूडें को कस लेना, लाल महावर भरी पैजनी,थम थम करके चलना।   काजल की रेखा कुछ ऐसी, जैसी लगे कटारी। बिदिया चमकें ऐसे…

तिरलोकी को नाथ सांवरो

तिरलोकी को नाथ सांवरो | Rajasthani Bhasha Kavita

तिरलोकी को नाथ सांवरो ( Tirloki ko Nath Sanvaro) ( राजस्थानी भाषा )   तिरलोकी को नाथ सांवरो दौड़यो दौड़यो आवैगो संकट हर सी जण का सारा विपदा दूर भगावैगो   नरसी मीरा सो भगत कठै करमा खीचड़ो ले आवै विष को प्यालो राणा भेज्यो अमरीत रस बण भा ज्यावै   नानी बाई रो भात…

समय का कालखंड

समय का कालखंड | Kavita Samay ka Kalkhand

समय का कालखंड ( Samay ka kalkhand )   समय की महत्ता जो समझे वही  है  बलवान, समय के संग चलनेवाला होता  है  धनवान। सु अवसर  पाकर जो कर्म से मुकर जाता है, वह अभागा है धरती पर जीवन भर पछताता है। समय ही करावत लड़ाई-झगड़ा बनावत राजा रंक फकीर, समय ही बनाता-बिगाड़ता रिश्ता और…

Prabhu Vandana

प्रभु वंदना | Prabhu Vandana

प्रभु वंदना ( Prabhu Vandana ) (  मनहरण घनाक्षरी छंद 8,8,8,7 वर्ण )   दीनबंधु दीनानाथ सबका प्रभु दो साथ संकट हर लो सारे विपदा निवारिये   रण में पधारो आप जनता करती जाप सारथी बन पार्थ के विजय दिलाइये   मन में साहस भर हौसला बुलंद कर जन-जन मनोभाव सशक्त बनाइये   मुरली की…

मीठी वाणी मीठी बोली

मीठी वाणी मीठी बोली | Kavita

मीठी वाणी मीठी बोली ( Mithi vani mithi boli )   एक सैलानी मुझसे बोला क्या करते हो गदेना, गुठियार में ऐसा क्या है यार तेरे गढ़वाल में। मुस्कुराते हुए मैंने कहा मीठी वाणी मिट्ठी पाणी है मेरे गढ़वाल में। हिमालय का चौखंबा बसा है मेरे पहाड़ में 52 गढ़ है मेरे गढ़वाल में। मां…