रोशनी के दिये | Kavita Roshni ke Diye

रोशनी के दिये | Kavita Roshni ke Diye

रोशनी के दिये ( Roshni ke Diye ) देखा है मैंने ऐसे गुरुओं को भी जो अपने घरों में अंधेरा करके दूसरे घरों में रोशनी फैला देते है और बदले में उन्हें मिलता है – तिरस्कार। सिर्फ साल के एक दिन उन्हें सम्मान में शाल श्रीफल से नवाज दिया जाता है बाकी के तीन सौ…

बेशर्मी का रोग | Besharmi ka Rog

बेशर्मी का रोग | Besharmi ka Rog

बेशर्मी का रोग ( Besharmi ka rog ) कैकयी संग भरत के, बदल गए अहसास। भाई ही अब चाहता, भाई का वनवास।। सदा समय है खेलता, स्वयं समय का खेल। सौरभ सब बेकार हैं, कोशिशें और मेल।। फोन करें बस काम से, यूं ना पूछे हाल। बोलो कब तक हम रखें, सौरभ उनका ख्याल।। जिन…

मायके में

मायके में | Kavita Mayke Mein

मायके में ( Mayke Mein ) मौसमों का आना जाना है मायके में सावन से रिश्ता पुराना है मायके से हरियाली तीज पर मायके आती हैं बेटियां सावन के झूलों में झुलाई जाती हैं बेटियां लाड़ जो पीछे छोड़ गई थी आती है वापिस पाने को मां पापा भी जतन करते, बेटी के नाज़ उठाने…

लोग क्या कहेंगे | Kavita Log Kya Kahenge

लोग क्या कहेंगे | Kavita Log Kya Kahenge

लोग क्या कहेंगे ( Log Kya Kahenge ) हमें लोग क्या कहेंगे, अब लोगों को भी कहने दो। मतलब की है सारी दुनिया, स्वार्थ में ही रहने दो। तुमको अब बढ़ते जाना, कुछ काम ऐसा कर लो। जीवन में कुछ है पाना, खुशियों से झोली भर लो। साध लो अब निशाना, मंजिल पर तुमको जाना।…

रोटी कपड़ा और मकान

रोटी कपड़ा और मकान | Roti Kapada Aur Makaan

रोटी कपड़ा और मकान ( Roti Kapada Aur Makaan ) उस अमीर आदमी की अकूत दौलत का पहाड़ दो कौड़ी है उस भूख से बिलखते अधनंगे बच्चे की नजर में जिसकी मां ने उससे पहले दम तोड़ दिया उसको जिंदा रखने की चाह में अपना खून चुसवाते चुसवाते अपने भूखे बदन और सूखे स्तन से…

मृत्यु

मृत्यु | Kavita Mirtyu

मृत्यु ( Mrtyu ) चाँदनी तारों भरी रात में किसी देवदूत ने छू लिया ज्यूं कोई सितारा आसमां से गोते लगाकर किसी ने ज्यूं उसे हरी धरती की गोद में उतारा कोई विशाल पक्षी ज्यूं ड़़रा रहा हो हवा के रुख को कुछ बादल के टुकड़े ज्यूं छिपा दें सूरज कुछ पल को नजरअंदाज कर…

इच्छाओं का मर जाना

इच्छाओं का मर जाना | Ichchaon ka Mar Jana

इच्छाओं का मर जाना अभी भी जीवित है पुष्प, शाख से टूट जाने के बाद, कर्म उसका महकना है, मंजिल से न बहकना है, हो जायेगा किसी प्रेमिका के नाम या आयेगा वीर की शैय्या पे काम, उसे अभी कर्तव्य पथ जाना है, अपने होने का फ़र्ज़ निभाना है वो जीवित है अपनी इच्छओं पर…

Hasti

हस्ती | Kavita Hasti

हस्ती ( Hasti ) बरसती बूंदों को गिनते हो क्यों लहराते सागर को देखिये व्यक्तिगत मे झांकते हो क्यों उसके परिणामों को देखिये माना कि वह आज कुछ नहीं उसके मुकाम को तो देखिये कदमों को उसके देखते हो क्यों कर रहे उसके प्रयासों को देखिये रोक पाने की उसे हस्ती नहीं तुम्हारी वह बिकाऊ…

शांति, संतोष और आनंद

शांति, संतोष और आनंद

शांति, संतोष और आनंद   **** संतोष भी मेरे पास ही रहता था। जब मैं ! खेतों में जाता या फिर भैंसों को चराता। दोपहर को छाछ के साथ गंठा रोटी खाता था। ***** आनंद तो मुझसे दूर ही नहीं था कभी। कभी नदिया पे नहाने में ! कभी कभार के शादी ब्याह के खाने…

सीता कहे दर्द

सीता कहे दर्द | Kavita Sita Kahe Dard

सीता कहे दर्द ( Sita Kahe Dard ) बड़ी दर्द भरी मेरी कहानी। अँखियो में ला दे सबकी पानी।। जिनके लिए धरा पर थी आई। उन्हीं के द्वारा गई सताई।। वन को गई थी मैं प्रभु जी संग। रंग कर प्रभु की प्रीति-भक्ति रंग।। सृष्टि हितार्थ अग्नि में समाई। मेरी छाया मेरा पद पाई।। दुष्ट…