कविता

Kavita | कविता क्या है

कविता क्या है  ( Kavita Kya Hai )   आज कविता दिवस है इसका नहीं था मुझे ध्यान मेरे मित्र ने याद करा कर मुझे कराया अभिज्ञान   कविता क्या है कुछ कविता के बारे में लिखो केवल  चार  पंक्तियां ही नहीं कुछ और लिखो   मैंने   भी   सोचा   पहले   कवि  है  या  कविता  है…

विश्व कविता दिवस पर

Vishv Kavita Diwas Par Kavita | विश्व कविता दिवस पर

विश्व कविता दिवस पर ( Vishv Kavita Diwas Par ) कविता प्रकृति पदार्थ और पुरुषार्थ दिखाती कविता, जीव को ब्रह्म से आकर के मिलाती कविता।।   शस्त्र सारे जब निष्फल हो जाया करते, युद्ध में आकर तलवार चलाती कविता।।   पतझड़ों  से  दबा  जीवन  जब क्रंदन करता, हमारे घर में बन बसंत खिल जाती कविता।।…

सुदामा

सुदामा | Kavita

सुदामा ( Sudama )   त्रिभुवनपति के दृगन में जल छा गया है। क्या कहा ! मेरा सुदामा आ गया है।। अवन्तिका उज्जयिनी शिप्रा महाकालेश्वर की माया, काशी वासी गुरु संदीपन ने यहां गुरुकुल बनाया। मथुरा से श्रीकृष्ण दाऊ प्रभास से सुदामा आये, गुरु संदीपन विद्यावारिधि को सकल विद्या पढ़ाये।। शास्त्र पारंगत विशारद पवित्रात्मा आ…

प्यार 

Kavita | प्यार

प्यार  ( Pyar ) बड़ा-छोटा काला-गोरा मोटा-पतला अमीर-गरीब हर किसी को हो सकता है-किसी से प्यार , यह ना माने सरहदें, ना देखे दरो-दीवार, हसीं-बदसूरत,बुढ़ा-जवान,तंदरूस्त-बीमार, यहाँ सबके लिए खुले हैं – प्यार के किवार । मैं नहीं तुम नहीं आप नहीं हम नहीं एक है बंदा-संग लिए बैठा रिश्ते हज़ार, सिर्फ़ दिल की सुनो जब…

थप्पड़

Kavita | थप्पड़

थप्पड़ ( Thappad ) *** उसने मां को नहीं मारा मार दिया जहान को अपनी ही पहचान को जीवन देने वाली निशान को। जान उसी की ले ली, लिए गोद जिसे रोटियां थी बेली। निकला कपूत, सारे जग ने देखा सुबूत। हो रही है थू थू, कितना कमीना निकला रे तू? चुकाया न कर्ज दूध…

अपनी गलती पर अंधभक्त

अपनी गलती पर अंधभक्त | Andhbhakti par Kavita

अपनी गलती पर अंधभक्त ( Apni Galti Par Andhbhakt )   सारे ख़ामोश हो जाते हैं, ढ़ूंढ़ने पर भी नजर नहीं आते हैं। बोलती हो जाती है बंद, आंखें कर लेते हैं अंध। सिर झुकाते हैं, मंद मंद मुस्कुराते हैं; दांत नहीं दिखाते हैं! पहले भी ऐसा होता था… कह चिल्लाते हैं। अब तकलीफ क्यों…

मैं आऊंगा दोबारा

मैं आऊंगा दोबारा | Kavita Main Aaunga Dobara

मैं आऊंगा दोबारा ( Main Aaunga Dobara )     ये गांव ये चौबारा मैं आऊंगा दुबारा चाहे सरहद पे रहुं या कहीं भी रहूं पहन के रंग बसन्ती केसरिया या तिरंगी पगड़ियां मैं आऊंगा दुबारा के देश मेरा है प्यारा   सिर मेरे कफ़न दिल में है वतन लाज इसकी बचाने हो जाऊंगा हवन…

भोलेनाथ

Kavita | भोलेनाथ

भोलेनाथ ( Bholenath ) ****** हो नाथों के नाथ हो अनाथों के नाथ दीनों के नाथ हो हीनों के नाथ। बसे तू कैलाश, बुझाते सबकी प्यास। चराचर सब हैं तेरे संग, रहे सदा तू मलंग । चलें खग पशु प्रेत सुर असुर तेरे संग, देख देवी देवता किन्नर हैं दंग। है कैसा यह मस्त मलंग?…

अपना बचपन

Kavita | अपना बचपन

अपना बचपन ( Apna Bachpan )   बेटी का मुख देख सजल लोचन हो आए, रंग बिरंगा बचपन नयनों में तिर जाए । भोर सुहानी मां की डांट से आंखे मलती, शाम सुहानी पिता के स्नेह से है ढलती। सोते जागते नयनों में स्वप्निल सपने थे, भाई बहन दादा दादी संग सब अपने थे। फ्राक…

अनबन

Kavita | अनबन

अनबन ( Anban )   ** बदल गए हो तुम बदल गए हैं हम नए एक अंदाज से अब मिल रहे हैं हम। ना रही वो कसक ना रही वो ठसक ना रहे अब बहक औपचारिकता हुई मुस्कुराहट! चहक हुई काफूर बैठे अब तो हम दूर दूर! जाने कब क्यूं कैसे चढ़ी यह सनक? मिलें…