Kavita | अबोध
अबोध ( Abodh ) बहुत अच्छा था बचपन अबोध, नहीं था किसी बात का बोध। जहाॅ॑ तक भी नजर जाती थी, सूझता था सिर्फ आमोद -प्रमोद। निश्छल मन क्या तेरा क्या मेरा, मन लगे सदा जोगी वाला फेरा। हर ग़म मुश्किल से थे अनजान मन में होता खुशियों का डेरा। हर किसी में …