बेटी की अभिलाषा

बेटी की अभिलाषा | Beti ki abhilasha par kavita

बेटी की अभिलाषा ( Beti ki abhilasha )  मां! मुझे गुरूकुल से न हटा, साफ-साफ बता? बात है क्या? यूं आंखें न चुरा! मैं अभी पढ़ना चाहती हूं, आगे बढ़ना चाहती हूं। किसी से नहीं हूं कम, रोको न मेरे कदम; तू देखी हो मेरा दम। आरंभ से अभी तक सर्वप्रथम ही आई हूं, न…

और झनकन

और झनकन | Kavita jhanakan

और झनकन ( Aur jhanakan )   तार वीणा के शिथिल इतनी स्पंदन और झनकन। बिना कंगन असह्य खनकन और झनकन।। शांत अन्तस्थल में कल कल की निनाद। चिरन्तन से अद्यतन तक वही संवाद। इतीक्षक कब होगा दरपन जैसा ये मन और झनकन।। बिना कंगन० करुण क्रंदन चीख बहती अश्रुधारा। जब विभू था सम्प्रभू था…

पग बढ़ाते चलो

पग बढ़ाते चलो

पग बढ़ाते चलो ***** कंकड़ी संकरी पथरीली, या हों रास्ते मखमली। हृदय में सदैव जली हो अग्नि, स्वार्थ हमें सब होगी तजनी। सेवाभाव की मंशा बड़ी, रास्ते में मुश्किलें भी होंगी खड़ी। पर जब करने की मंशा हो भली, बाधाएं दूर हो जातीं बड़ी से बड़ी। खुदा के वास्ते न देखो पीछे मुड़कर, बस तू…

अस्तीन के सांप

अस्तीन के सांप | Poem aasteen ke saanp

 अस्तीन के सांप  ( Aasteen ka saanp )    मेरे अपनों ने मुझे,अपनों से दूर कर दिया || 1.कुछ अपने जो पराये हो गए,पराये मेरे अपने हो गए | अपनों को खो दिया पराया मान,वो अब सपने रह गए | कुछ खास अपनों को जी-जान से,अपना बनाना चाहा | सरेआम दगा दे गए दिखाबा किया,बस…

आप कहके मुकर जाइये।।

आप कहके मुकर जाइये। Poem on mukar jaiye

आप कहके मुकर जाइये ( Aap kahke mukar jaiye )      अब इधर न उधर जाइये। आप दिल में उतर जाइये।।   आईना भी जले देखकर, इस कदर न संवर जाइये।।   हमको अच्छा लगेगा बहुत, आप कहके मुकर जाइये।।   आखिरी इल्तिजा आपसे, मेरे घर से गुज़र जाइये।।   गांव है शेष भोले…

बिहार में पुल बह रहे हैं!

बिहार में पुल बह रहे हैं | Kavita Bihar mein

बिहार में पुल बह रहे हैं! ( Bihar mein pul bah rahe hain )  बिहार में विकास की गंगा नहीं पुल बह रहे हैं, नेता प्रतिपक्ष तो यही कह रहे हैं। बाढ़ से नवनिर्मित पुलों का ढ़हना जारी है, ढ़हने में अबकी इसने हैट्रिक मारी है। पहले सत्तरघाट- फिर किशनगंज और अब अररिया, के पुल…

फैशन का भूत

फैशन का भूत | Fashion par kavita

फैशन का भूत ( Fashion ka bhoot )  फैशन का भूत बड़ा मजबूत, साड़ी पर भारी पड़ गया सूट; इसके नाम पर मची है लूट। ठगे जा रहे युवक युवतियां, फंस पछता रहे युवा पीढ़ियां। टाइट जींस , फटे अंगवस्त्र पहनते, अर्द्धनग्न सी रहते,जिस्म आधी ही ढ़कते ! ऐसे कपड़े पहन करते चुहलबाज़ीयां, गुंडे मवाली…

न जाने कौन हूं मैं

न जाने कौन हूं मैं | Kaun hoon main kavita

न जाने कौन हूं मैं (  Na jane kaun hoon main )   न जाने कौन हूं मैं… गहन तिमिरान्ध में प्रकाश हूं मैं, छलकते आंसुओं की आस हूं मैं गृहस्थ योगी यती संन्यास हूं मैं, विरह कातर अधर की प्यास हूं मैं। किसकी ललचाई दृगन की भौंन हूं मैं।। न जाने कौन हूं मैं…….

चक्षुजल

चक्षुजल | Chakshujal par kavita

चक्षुजल ( Chakshujal )    बुभुक्षित कम्पित अधर का सार है यह। चक्षुजल है प्रलय है अंगार है यह।। तुंग सिंधु तरंग अमृत छीर है यह, प्रस्तरों को को पिघला दे वो नीर है यह, लक्ष्य विशिख कमान तूणीर है यह, मीरा तुलसी सूर संत कबीर है यह, प्रकृति है यह पुरुष है संसार है…

इंसान स्वयं को तू पहचान!

इंसान स्वयं को तू पहचान | Insan par kavita

इंसान स्वयं को तू पहचान! ( Insan swayam ko to pehchaan )  ऐ इंसान स्वयं को तू पहचान! जन्म हुआ किस हेतु तुम्हारा ? इस दुनिया जहान में, मानव खुद को तू पहचान रे। पेश करो तू मानवता की मिशाल, टिकते वही धरा पर जिनके होते हृदय विशाल। ऐ इंसान स्वयं को तू पहचान, विनम्रता…