हम जिंदा हैं
हम जिंदा हैं हम जिंदा हैं क्योंकि हमारे जिंदा रहने के कारण हैं भले ही हमारी रगों का लहू सूख चुका है हमारे कानों तक नहीं पहुंचती कोई चीख पुकार ना ही कोई आहो बका हम नदी के कगारों पे खड़े ठूंठ हैं हम खामोश हैं क्योंकि हम दर्शक हैं …
हम जिंदा हैं हम जिंदा हैं क्योंकि हमारे जिंदा रहने के कारण हैं भले ही हमारी रगों का लहू सूख चुका है हमारे कानों तक नहीं पहुंचती कोई चीख पुकार ना ही कोई आहो बका हम नदी के कगारों पे खड़े ठूंठ हैं हम खामोश हैं क्योंकि हम दर्शक हैं …
दिवाली फिर आई 1 हर दिल अज़ीज, सदियों पुरानी, त्यौहारों की रानी, दिवाली फिर आई। 2 उर्ध्वगामी लौ से, सतत विकास करने, पुरातन को शोधने, दिवाली फिर आई। 3 ज्ञान के आलोक से, अज्ञान-तम मिटाती, हृदय ज्ञान जगाती, दिवाली फिर आई। 4 मति-देव का पूजन, महालक्ष्मी आरती, दरिद्रता दूर भगाती, दिवाली फिर आई। 5 सकल…
खादी एक शान है खादी एक शान है, खादी एक सम्मान है। स्वाभिमान है खादी, खादी एक सद विचार है। देसी धागों से बना हुआ, देश प्रेम मे सना। रेशम के तानों से तना, खादी एक सत्कार है। गांधी जी का जीवन दर्शन है, अपना तो दर्पण है, समर्पण है। तन ढकने को…
गांधी बनना आसान नहीं ******* गांधी बनने को, गांधी का धर्म- गांधी का कर्म निभाना होगा, सत्य अहिंसा को भी अपनाना होगा। आज ! इस मार्ग पर चलना आसान नहीं, गांधी बनना आसान नहीं। सच्चाई की राहों पर- देखो कितने हैं अवरोध? बाहर की पूछे कौन भला- घर में ही हैं बड़े विरोध। शुद्ध सात्विक…
घूंघट न होता तो कुछ भी न होता न सृष्टि ही रचती न संचार होता। घूंघट न होता तो कुछ भी न होता। ये धरती गगन चांद सूरज सितारे, घूंघट के अन्दर ही रहते हैं सारे, कली भी न खिलती न श्रृंगार होता।। घूंघट ० घटायें न बनती न पानी बरसता, उर्ध्व मुखी पपिहा…
गांधी बनना है आसान ***** गांधी बनना है आसान, सुन लो भैया खोलकर कान। अब भी ना तुम बनो नादान, गांधी बनना है आसान। बस करना है तुम्हें दस काम, फिर बन जाओगे तुम भी महान। गांधी बनना है आसान, ‘सादा भोजन’ सुबहो शाम; उद्देश्य पूर्ति को करो ‘व्यायाम’ । ‘आंदोलन’ का रास्ता सच्चा, ‘अहिंसा’…
आपस में करेंगे सहकार ***** आपस में करेंगे सहकार, यूं न बैठेंगे थक-हार। कमियों पर करेंगे विमर्श, खोजेंगे सर्वोत्तम निष्कर्ष। मिलजुल सब करेंगे संघर्ष, चेहरे पर होगा हर्ष ही हर्ष। देखते हैं परिस्थितियां कब तक नहीं बदलतीं? कब तक खुशियों की फुलझरिया नहीं खिलती? आंखों से आंखें,गले से गले नहीं मिलती? यकीं है शीघ्र ही…
सत्य अहिंसा सत्य है तो सत्य का प्रयोग होना चाहिए। अहिंसा वही है कोई नहीं रोना चाहिए।। उदर पूर्ति भी रहे रक्षा भी स्वाभिमान की, ब्योम तक लहराये ध्वज जवान जय किसान की, प्रेम भावना भरा संसार होना चाहिए।। सत्य० नित नये अपराध से मानवता परेशान हैं, अहिंसा की लगता है खतरे…
देख रहे सब चीरहरण बैठे धृष्टराज की अंधी सभा में देख रहे सब चीरहरण , कुछ लगाते ठहाका , द्रोणाचार्य ,विदुर ज्ञानी हैं बैठे मौन , बोल न पाता है कोई न्याय वहां? दुष्शासन के दुस्साहस को दे रहे ताल वहां, द्रोपदी भरी सभा में मांग रही इज्जत की भीख वहां? सुन…