आदर्श समाज एक परिकल्पना

आदर्श समाज एक परिकल्पना

आदर्श समाज एक परिकल्पना आदर्श समाज की कल्पना करें,जहां हर व्यक्ति सम्मानित हो।जहां हर कोई अपने अधिकारों को जानता हो,और अपने कर्तव्यों को निभाता हो।जहां समाज में शांति और सौहार्द हो। आदर्श समाज में शिक्षा का महत्व होगा,हर व्यक्ति को शिक्षा का अधिकार होगा।जहां हर कोई अपने सपनों को पूरा कर सकेगा,और अपने लक्ष्यों को…

कर्म

कर्म

कर्म राहें चाहे जितनी कठिन हों,मैं चलना जानता हूँ,तेरे साथ की उम्मीद में,मैं हर मंजिल पाना जानता हूँ। कर्म ही मेरा साथी है,पर तेरी याद भी संजीवनी है,हर कदम पर तुझे पाने की आशा,मेरे सम्पूर्ण जीवन की कथनी है। मेरे सपनों में बस तू है,पर मेहनत से है मिलन का रास्ता,क्योंकि कर्म के बिना अधूरा…

वर्तमान समय में बढ़ता फैशन

वर्तमान समय में बढ़ता फैशन

वर्तमान समय में बढ़ता फैशन फैशन की दुनिया में हम खो गए,अपने आप को भूलकर हम दूसरों को देख गए।कपड़े, जूते, एक्सेसरीज़ की दौड़ में हम भाग गए,और अपने स्वास्थ्य और पर्यावरण की अनदेखी कर गए। हमारे घरों में नए और आधुनिक सामान आए,लेकिन हमारे दिलों में पुराने और सच्चे मूल्यों की कमी आई।हमारे जीवन…

तुझ तक पहुंचने की चाह

तुझ तक पहुंचने की चाह

तुझ तक पहुंचने की चाह कोई मिल जाए जो तुझ तक पहुंचा दे,मेरे शब्द, मेरी सासें तुझ तक बहा दे।कि तू जान ले, आज भी प्रेम वहीं खड़ा है,तेरी राहों में, तेरी बाहों में, खुद को समेटे खड़ा है। चाहत की लौ बुझी नहीं है अब तक,तेरी यादों में जलती रही है अब तक।तेरे बिना…

रुपेश कुमार यादव ” रूप ” की कविताएं | Rupesh Kumar Yadav Poetry

रुपेश कुमार यादव ” रूप ” की कविताएं | Rupesh Kumar Yadav Poetry

देखो होली आई जमाना बदल रहा है भाईदेखो होली आई…. देवर भाभी रूठ गए सबरिश्ते मानो टूट गए सबघर में छुपी आज भौजाईदेखो होली आई….. होली का हुड़दंग आजकम हो गया रंग आजबस एक दिन की फगुआईदेखो होली आई…. रंग अवीर गुलाल धरा हैमन में खूब मलाल भरा हैबिना भांग लोग बौराईदेखो होली आई….. ढोल…

जीवन साथी

जीवन साथी

जीवन साथी “जीवन साथीजीवन का साथी हैसम्मान करो।” “नजरंदाजकभी नहीं करनासाथ ही देना।” “भरोसा करोएक दूसरे परसंदेह नहीं।” “घमंड छोड़ोमधुरता से बोलोसफल होगे।” “क्रोधित नहींतुम्हें कभी होना हैशांत ही रहो।” “व्यस्त रहनाइधर-उधर कीबात न करो।” “पति पत्नी तोदो पहिए होते हैंचलती गाड़ी।” “एक नहीं होफिसलती है गाड़ीगिरती झाडी।” “खुश किस्मतसभी नहीं होते हैंनसीब वाले।” “बद…

वर्तमान नारी की झलक

वर्तमान नारी की झलक

वर्तमान नारी की झलक सदियों से रुढ़ियों के पर्दो में ढ़क कर जिसे रखा,आज वो समाज के इस पर्दे को हटाने आयी है, डरी,सहमी ,नासमझ स्त्रियों के दिल का बोझवो आशा बनकर मिटाने आयी है, अपनी ताकत से गांव ,शहर ही नहीं देश में भी जागरूकता लायी है, आज नारियों के कार्यों के चर्चा से…

ritu garg

ऋतु गर्ग की कविताएं | Ritu Garg Poetry

परंपराओं की छांव शुक्र है, पिछला जमाना साथ चल रहा है,कुछ अरमान, कुछ तहज़ीब संग पल रहा है। कुछ बातें अधूरी रह जाती हैं,कुछ सपने मुकम्मल नहीं हो पाते हैं। जो साथ न होता उस बीते कल का,हम अपनी राहें कहाँ से पाते? हां, वही पुराना जमाना हमें राह दिखाता है,परंपराओं की सीख सहेज कर…

उन्माद भरा बसन्त

उन्माद भरा बसन्त

उन्माद भरा बसन्त फ़रवरी की धूप में, सीढ़ियों पर बैठ कर, शरद और ग्रीष्म ऋतु के,मध्य पुल बनाती धूप के नामलिख रही हूँ ‘पाती’आँगन के फूलों परमंडराती तितलियाँ ,पराग ढूँढती मधुमक्खियाँ,गुंजायमान करते भँवरेमन को कर रहे हैं पुलकित हे प्रकृति!यूँ ही रखनायह मन का आँगन आनंदितसुरभित, सुगन्धितमधुमासी हवा का झोंकागा रहा है बाँसुरी की तरहहृदय…

Kamal Kumar Saini Poetry

कमल कुमार सैनी की कविताएं | Kamal Kumar Saini Poetry

सब एक जैसे ही है सब एक जैसे ही हैहांसब एक जैसे ही हैसब कहते हीं सही हैहोता भी यही हैमनोविज्ञान कहता हैलगभग भावनाओं का जालसभी मेंसमान रहता हैमेरे वाला/मेरे वालींअलग हैं यह वहम हैसब उसी हाड़ मांस किबनावट हैये जो बाहरी रंग हैये सिर्फ सजावट हैकुछ में चमक हैकुछ में फिकापन है सब्र अब…