पिता का महत्व

पिता का महत्व | Kavita Pita ka Mahatva

पिता का महत्व ( Pita ka Mahatva ) माता होती है धरती सम, तो पितु होते हैं आसमान। माता देती है हमें ठौर, तो पितु करते छाया प्रदान।। अंदर ही अंदर घूंटे पर, नयनों में नीर नहीं लाते। कुछ भी तो नहीं हुआ कहकर, हैं वे नित ऐसे मुस्काते ।। एक पितु स्वयं दुख सहकर…

राजेंद्र रुंगटा

राजेंद्र रुंगटा की कविताएं | Rajendra Rungta Hindi Poetry

दुनिया बहुत कसैली इज्जत मिली नहीं जीवन मेंमिला नहीं मान~सम्मान lटोटा पड़ा निवालों कापरोसा थाली में अपमान l फटी जूतियाँ पैरों मेंसब कोसे दिन रातछूटा प्राण शरीर सेनिश्चल है देखो मृदु गात l जुटा हुआ है सकल जहान,झुक झुक करते सब सम्मान lभूल गए सब खोट बुराई,दिखने लगी आज अच्छाई l सज गयी काया अरथी…

गुडियाँ तुम्हारी

गुडियाँ तुम्हारी | पितृ दिवस पर आधारित डॉ. ऋतु शर्मा की कविता

गुडियाँ तुम्हारी बाबा मैं पली भले ही माँ की कोख में पर बढ़ी हर पल आपकी सोच में आप ही मेरा पहला प्यार आप ही मेरे पहले सुपर हीरो आपकी ही अंगुली पकड़ कर पहला कदम इस धरा पर रखा आपके ही भरोसे खुद पर भरोसा रखा थकी जो कभी चलते चलते आपने ही अपने…

मैं शून्य हूँ

मैं शून्य हूँ | Kavita Main Sunay Hoon

मैं शून्य हूँ ( Main Sunay Hoon ) मैं शून्य हूँ जिसे शिखर का अभिमान है आवारगी है रगों में मेरी जिसका सहारा अम्बर है मैं अस्तित्व हूँ बूंद की जिसे साहिल का गुमान है मैं शब्द हूँ जिसका ये सारा जहां है मैं तुम में हूँ जो तुम्हारा निशां है तुम पिता हो मेरे…

हे मां रजनी

हे मां रजनी

हे मां रजनी मां रजनी सा ना कोई उपकारी l पूरा भूमंडल मां तेरा आभारी l पूरा जग तेरा वंदन करता है l नमन तुझे भगवान भास्कर भी करता है l मां समय की तू बड़ी पाबंद l नित्य अपने समय पर आती है l फैला तम की चादर थके मांदे भास्कर को ले आगोश…

पापा है आधार !!

पापा है आधार !!

पापा है आधार !! हम कच्चे से है घड़े, और पिता कुम्हार ! ठोक पीट जो डांट से, हमको दे आकार !! सिर पे ठंडी छाँव-सा, पिता नीम का पेड़ ! कड़वा लगता है मगर, है जीवन की मेड़ !! पाई-पाई जोड़ता, पिता यहाँ दिन रात ! देता हैं औलाद को, खुशियों की सौगात !!…

बाद तुम्हारे

बाद तुम्हारे | Kavita Baad Tumhare

बाद तुम्हारे ( Baad Tumhare ) जो आशा के बीज थे बोए, उन पर वक्त के ऑसू रोए, छोंड़ गए तुम साथ हमारा, कैसे हो बिन तेरे गुजारा, आज नहीं तुम साथ हो मेरे, तब चिंता घेरे बहुतेरे, कैसे सबसे पार मै पाऊं, विकट परिस्थित घबरा जाऊं, आती है अब याद तुम्हारी, पापा हर एक…

क्या होता है पिता

क्या होता है पिता

क्या होता है पिता क्या होता है पिता, यह अहसास होता है तब। बनता है जब कोई पिता, अनाथ कोई होता है जब ।। क्या होता है पिता—————————।। रहकर मुफलिसी में पिता, बच्चों को भूखे नहीं रखता। छुपा लेता है अपने दर्द और आँसू, खुश बच्चों को वह रखता।। भूलाकर बच्चों की गलती ,पिता ही…

अब मैं तुम्हें चाहने लगा

अब मैं तुम्हें चाहने लगा

अब,मैं तुम्हें चाहने लगा अंतरंग विमल प्रवाह, प्रीत पथ भव्य लगन । मृदुल मधुर चाह बिंब, तन मन अनंत मगन । निहार अक्स अनुपमा, हृदय मधुर गाने लगा । अब,मैं तुम्हें चाहने लगा ।। जनमानस व्यवहार पटल, सर्वत्र खनक सनक । परिवार समाज रिश्ते नाते, सबको हो गई भनक । हर घड़ी हर पहर मुझे,…

रक्तदान पर कविता

रक्तदान पर कविता

रक्तदान पर कविता रक्तदान महादान, ईश्वर भक्ति के समान, वक्त में मिल जाए गर, बॅच सके किसी की जान, पुण्य हो कल्याण हो, सहृदयता का भान हो, सफल हो जीवन यात्रा, जब जरूरत मंद को, वक्त मे हम दान दें, रक्त की कुछ मात्रा, रक्त बिन जो जा रहा, लौट के न आएगा फिर, करो…