प्रेम की गंगा नहाऊँ | Prem ki Ganga Nahaoon
प्रेम की गंगा नहाऊँ कि जिसकी प्रीत का दीपक जलाऊं, उसी के प्रेम की गंगा नहाऊँ। वो मेरा श्याम है सुंदर सलोना उसी की बावरी राधा कहाऊं।। वो मेरा देव मैं बन कर पुजारन, उसी को मन के मंदिर में सजाऊं। लगन ऐसी लगी उस बावरे से, उसी से रूठ कर उसको मनाऊं। बिना देखे…