Ram Hey Ram

हममें राम, तुममे राम

जय श्री राम हममें राम, तुममे राम सबमे राम, सबके राम जहाँ भि देखो राम हि राम बोलो जय श्री राम राम हि धरती राम हि अम्बर राम हि बूंद, राम समंदर देखा जैसा, पाया वैसा कोई अलग नहीं उनका धाम बोलो जय श्री राम त्यागी राम, वैरागी राम सकल शृष्टि के अनुरागी राम सत्य…

Shiva Aarti

भोलेनाथ है मतवाला | Kavita Bholenath

भोलेनाथ है मतवाला ( Bholenath Hai Matwala )   औघड़ दानी शिव भोले हैं वरदानी। भस्म रमाए बैठे शिवशंकर ध्यानी। काशी के वासी बाबा है अविनाशी। बम बम भोले शिवशंकर हे कैलाशी। शिव डमरू वाले हैं बाघाम्बर धारी। सर्पों की माला शिव महिमा है भारी। जटा गंग साजे चंद्रमा मस्तक साजे। शंकर गौरी संग बैठे…

Salasar Balaji Dham

सालासर बालाजी धाम | Kavita Salasar Balaji Dham

सालासर बालाजी धाम   मनोकामनाएं पूर्ण हो रहीं, सालासर दरबार में राजस्थान सुजानगढ़ अवस्थित, बाला जी महाराज परम स्थल । हर कदम दिव्यता स्पंदन, आध्यात्म ओज प्रभाव सकल । दर्शन अनुपमा हर्षल प्रियल, अनंत खुशियां भक्त वत्सल चमत्कार में । मनोकामनाएं पूर्ण हो रहीं, सालासर दरबार में ।। शुभ स्थापना श्रेय मोहन दास , मूर्ति…

पारा हुआ पचास

पारा हुआ पचास | Para Hua Pachas

पारा हुआ पचास ( Para Hua Pachas )   वृक्ष बड़े अनमोल हैं, ये धरती- श्रृंगार। जीव जन्तु का आसरा, जीवन का आधार।। वृक्ष,फूल,पौधे सभी, जीवन का आधार। इनसे धरा सजाइये, करिये प्यार दुलार।। नदिया, झरने, ताल सब, रोज रहे हैं सूख। पर मानव की है कहाँ, मिटी अभी तक भूख।। है गुण का भंडार…

जमाना आजकल

जमाना आजकल | Jamana Aaj Kal

जमाना आजकल ( Jamana Aaj Kal )   जमाना आजकल बदल रहा है, जो कल था,वह आज नहीं रहा है हो रहा है, नित नया प्रयास हर रोज बंध जाती है, जीने की आस l कैसा बीत रहा है आज कल की खबर नहीं क्या होगा कल आज जी को मस्ती भरे नगमे गा लो…

Sandeep Kumar Hindi Poetry

संदीप कुमार की कविताएं | Sandeep Kumar Hindi Poetry

सुलगती हुई तप्ती भट्टी पर हाथ रखकरहाथ जलाना है संदीपआज अगर गलत कीए कल पकड़े गए तोकिस मुंह से मुंह दिखाना होगा संदीपयह दरमियां है दुनिया की झुठी फ्रेब में चलने कीराहों पर हर वक्त सच बोल कर कितना आगे जाना है संदीपसुलगती हुई तप्ती भट्टी ,,,,,, एक जुबान पर कायम रहते हैं कम लोगजुबान…

गंगा की पावन धरती | Ganga ki Pawan Dharti

गंगा की पावन धरती | Ganga ki Pawan Dharti

गंगा की पावन धरती ( Ganga ki Pawan Dharti )   गंगा की पावन धरती को , हम-सब स्वर्ग बनाएंगे! भ्रष्टाचार मिटाकर जगसे , रामराज्य अब लाएंगे !! दीन-दुखी ना कोई होगा, स्वस्थ सुखी होंगे प्यारे ! दैहिक दैविक संतापों से , बच जाएंगे हम सारे !! देखेगी दुनियाँ सारी जब , परचम अपना फहराएंगे…

लोग

लोग | Kavita Log

लोग ( Log )   टेढ़ा मेढ़ा कटाक्ष, लिखा फिर भी, समझें लोग, सीधा सीधा मर्म, लिखा ही लिखा, जरा न समझें लोग। वक्तव्यों मे अपने, सुलझे सुलझे, रहते लोग, मगर हकीकत मे, उलझे उलझे, रहते लोग, खातिरदारी खूब कराते, मेहमानी के, शौकीन लोग, खातिरदारी जरा न करते, मेजबानी से, डरते लोग, अपना समझें और…

इस दिल पर पहरा है

इस दिल पर पहरा है | Is Dil Par Pahra Hai

इस दिल पर पहरा है एक रंग एक रूप का इस दिल पर पहरा है उसी दिल का दिया हुआ यह उदासी सा चेहरा है पढ़ना दिल से इस कविता को दिखेगा उसकी दिल पर डेरा है उसने मानी की नहीं मानी मुझे हम सफर पता नहीं लेकिन मैंने माना कि वह सिर्फ मेरा है…

अर्थ जगत | Kavita Arth Jagat

अर्थ जगत | Kavita Arth Jagat

अर्थ जगत ( Arth Jagat )   अर्थ जगत अनुपमा, प्रेरणा पुंज मारवाड़ी समाज ************ उद्गम राजस्थानी मरुथल धरा, न्यून वृष्टि संसाधन विहीन । तज मातृभूमि आजीविका ध्येय अंतर्मन श्रम निष्ठ भाव कुलीन । प्रायः राष्ट्र हर क्षेत्र श्री गमन , लघु आरंभ बुलंद आर्थिक आवाज । अर्थ जगत अनुपमा, प्रेरणा पुंज मारवाड़ी समाज ।।…