हे रावी | Kavita Hey Ravi
हे रावी! ( Hey Ravi ) मुझे जिसकी तक़दीर पे आज भी अभिमान है वो भूखा-नंगा ही सही, मेरा हिन्दुस्तान है इस बांस-बन में छांव का आना है सख्त मना, चांद को भी जैसे यहाँ फांसी का फरमान है अब शहर मांस के दरिया में तब्दील हुआ, इसीके जख़्मो का मवाद अपने दरमियान है कल…