शौक़ है

शौक़ है | Ghazal Shauk Hai

शौक़ है ( Shauk Hai ) बज़्म-ए-सुख़न की शान बढ़ाने का शौक़ है। हमको भी शेअ़र सुनने-सुनाने का शौक़ है। तूफ़ान के ह़दफ़ पे तो रहना ही है उन्हें। जिनको वफ़ा के दीप जलाने का शौक़ है। कांटे किसी की राह में वो क्या बिछाएंगे। पत्थर पे जिनको फूल चढ़ाने का शौक़ है। हरगिज़ किसी…

मेरे साथ साथ

मेरे साथ साथ | Mere Sath Sath

मेरे साथ साथ ( Mere Sath Sath ) पहाड़ बन के मेरे साथ साथ चलता रहा वो एक टुकड़ा था बादल को जो बदलता रहा लिपट गई तो कलेजे को पड़ गई ठंडक और इतनी ठंड की फिर रोम रोम जलता रहा जो लोग पहले ग़लत कर चुके दुआ उनको उन्हीं को देख के हर…

ज़िंदगी के वास्ते | Ghazal Zindagi ke Vaaste

ज़िंदगी के वास्ते | Ghazal Zindagi ke Vaaste

ज़िंदगी के वास्ते ( Zindagi ke Vaaste ) जब इजाज़त उसने मांगी रुख़सती के वास्ते। कह दिया हमने भी जा,उसकी ख़ुशी के वास्ते। तीरगी फिर भी न मिट पाई हमारे क़ल्ब की। फूंक डाला घर भी हमने रोशनी के वास्ते। आग को पानी करे है और पानी को धुआं। आदमी क्या-क्या करे है ज़िंदगी के…

नये रंग भरने वाला था

नये रंग भरने वाला था | Ghazal Naye Rang

नये रंग भरने वाला था ( Naye Rang Bharne Wala Tha ) हमारा जाम मुहब्बत से भरने वाला था कोई उमीद की हद से गुज़रने वाला था जवाब उस से मुहब्बत का किस तरह मिलता वो गुफ़्तगू भी सवालों में करने वाला था ये एक बात ही ज़ाहिर है उसकी आंँखों से ज़रा सी देर…

साये चले | Ghazal Saaye Chale

साये चले | Ghazal Saaye Chale

साये चले ( Saaye Chale ) ऐसे ऐसे अंधेरे कि साये चले पाँव डर डर के हम भी बढ़ाये चले जश्न तेरी ख़ुशी का मनाये चले अश्क पलकों में अपनी छुपाये चले अपनी हर इक ख़ुशी का गला घोंटा कर तेरी महफ़िल को रंगीं बनाये चले रात चमकी थी कुछ देर नन्ही किरण हम उसी…

तेरी दीद के बाद

तेरी दीद के बाद | Teri Deed ke Baad

तेरी दीद के बाद ( Teri deed ke baad ) जहां में कुछ नहीं नायाब तेरी दीद के बाद कहाँ से आये कोई ख़्वाब तेरी दीद के बाद है बेख़बर दिल-ए-बेताब तेरी दीद के बाद जमाल-ए-मस्ती-ए-गरक़ाब तेरी दीद के बाद बनाने वाले ने तुझको बना के जब देखा बनाये फिर कई गिर्दाब तेरी दीद के…

सौगात सावन में

सौगात सावन में | Saugaat Sawan Mein

सौगात सावन में ( Saugaat Sawan Mein ) तुम्हारी चाहतें हमको मिली सौगात सावन में । जताकर प्यार को अब हम करें शुरुआत सावन में ।१ बढ़ाना है नहीं तुझसे मुझे अब राबता कोई सतायेगा मुझे फिर से तू हर इक रात सावन में ।। २ झुकाकर क्यों नयन बैठे हमें अब लूटने वाले। सुना…

मुझपे ऐतबार कर | Ghazal Mujhpe Aitbaar Kar

मुझपे ऐतबार कर | Ghazal Mujhpe Aitbaar Kar

मुझपे ऐतबार कर ( Mujhpe Aitbaar Kar ) शिकायतें हज़ार कर तू यार बार बार कर मगर हैं इल्तिज़ा यही की मुझपे ऐतबार कर। खफ़ा हो यूं की प्यार से तुझे मना लिया करूं मगर न बदगुमानियों से दिल को तार तार कर। ये बेनियाज़ी और बेरुखी बढ़ाते तिश्नगी कोई तो कौल दरमियान में कोई…

क्या लिखूं मैं

क्या लिखूं मैं | Ghazal Kya Likhun Main

क्या लिखूं मैं ( Kya Likhun Main ) क्या लिखूं मैं शाइरी में दर्द आंसू ज़िंदगी में वो नज़र आया नहीं है खूब ढूँढ़ा हर गली में भूल जा तू याद उसकी रख नहीं आँखें नमी में इस कदर बेरोज़गारी ज़ीस्त गुज़रे मुफलिसी में हाथ उससे तू मिला मत है दग़ा उस दोस्ती में दोस्त…

गुरुवर विनय साग़र | Guruvar Vinay Sagar

गुरुवर विनय साग़र | Guruvar Vinay Sagar

गुरु पूर्णिमा के पुनीत पर्व पर मैं अपने उस्ताद शायर ज़नाब विनय साग़र जायसवाल, बरेली-उ०प्र० को शत्-शत् प्रणाम करता हूँ। ग़ज़ल की दुनिया में आज जो कुछ भी मुझे हासिल है वो सब गुरुदेव के ही आशीर्वाद और रहनुमाई की बदौलत है। गुरुदेव के श्री चरणों में समर्पित इक ग़ज़ल.. गुरुवर विनय साग़र ( Guruvar…