प्रकृति व स्त्री विमर्श

“प्रकृति व स्त्री विमर्श”: स्त्रीत्व की नई रचना, डॉक्टर सुमन धर्मवीर की कलम से

डॉक्टर सुमन धर्मवीर जी की पुस्तक – “प्रकृति व स्त्री विमर्श “ पढना शुरु किया — लेखिका के लेखन मे प्राण है। नया जीवन है—- 🙏🏻🙏🏻 मन लग जाता है पढते पढते। ऐसा है जीवन्त लेखन लेखिका का— 🙏🏻🙏🏻 बहूत अच्छा लिखती हैं सामाजिक परिवेश पर। लेखिका के लेखन को हम नमन करते है। अंधकार…

शोषित समाज के प्रति चिंता प्रधान ग़ज़ल-संग्रह:-  “ज़िन्दगी अनुबंध है”

शोषित समाज के प्रति चिंता प्रधान ग़ज़ल-संग्रह:- “ज़िन्दगी अनुबंध है”

आज मैं बहुत खुश हूं कि लीक से हटकर लिखी गईं आर. पी. सोनकर जी की ग़ज़लें पढ़ रही हूं । हम देखते हैं कि पारंपरिक ग़ज़लों में प्रेम , मोहब्बत,और विरह की शायरी होती है । क्योंकि शे’रो – शायरी ज्यादातर समृद्ध वर्ग के लोग ही लिखते आए हैं और उन्होंने सामाजिक न्याय, समता…

प्रतिध्वनि (काव्य संग्रह) | Pratidhwani Kavya Sangrah

प्रतिध्वनि (काव्य संग्रह) | Pratidhwani Kavya Sangrah

प्रतिध्वनि (काव्य संग्रह)  पुस्तक समीक्षा कवयित्री – नीरजा रजनीश समीक्षक– मनजीत सिंह (खान मनजीत भावड़िया मजीद) साहित्य कलश प्रकाशन, पटियाला   मनुष्यों में पाँचों इन्द्रियाँ कमोबेश सक्रिय होती हैं जो अपने अनुभवों के समन्वित मिश्रण को मन के धरातल पर रोपती हैं जहाँ से समवेत ध्वनि का आभास होता है, यही आभास प्रतिध्वनि है। जब…

ग़ज़लों का मुकम्मल संकलन : ” ज़िंदगी अनुबंध है “

ग़ज़लों का मुकम्मल संकलन : ” ज़िंदगी अनुबंध है “

संवैधानिक व वैज्ञानिक चेतना से युक्त सभ्य-समाज की संकल्पना के साकार स्वरूप की वकालत करती हुईं ग़ज़लों का मुकम्मल संकलन है:- ” ज़िंदगी अनुबंध है “   आमतौर पर ऐसा ही होता आया रहा है कि ग़ज़ल-ओ-शे’रो-शायरी की दुनिया में प्रेम, मोहब्बत, विरह, वेदना वगैरह-वगैरह को ही हम विषय का केन्द्र मानते,लिखते और पढ़ते आते…

Ganpat Lal's book published

लोकप्रिय कवि गणपत लाल उदय की पुस्तक का हुआ प्रकाशन

कलम चलाओ ऐसी कि यादगार बन जाएं‌। और कर्म करो ऐसा कि पहचान बन जाएं।। आप सभी का अपना प्रिय सैनिक कवि लंदन बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड धारक- गणपत लाल उदय, अजमेर राजस्थान आप सभी के प्यार एवम आशीर्वाद से अपने लक्ष्य की और बढ़ते हुए अपनी तीसरी एकल पुस्तक “देश भक्त है हम भारत…

Gita Manas

आत्मानुभूति का प्रकटीकरण शेषमणिजी का “गीता मानस “

“गीता मानस ” | पुस्तक समीक्षा ( Gita Manas : Book Review )    इस सृष्टि के नियन्ता सर्व शक्तिमान परमपिता परमात्मा सत् चित आनन्द स्वरूप है। यह जीव इन्हीं परमात्मा का अंश होने के कारण ईश्वर के गुण, जीव के अन्दर दृष्टिगोचर होते हैं। यह जीव भी अपनी मूल सत् चित व आनन्द स्वरूप…

मिट्टी की सुगंध | पुस्तक समीक्षा

मिट्टी की सुगंध | पुस्तक समीक्षा

  पुस्तक- मिट्टी की सुगंध रचनाकार- रामकेश एम० यादव, मुंबई (महाराष्ट्र) समीक्षक –अतुल कुमार शर्मा, सम्भल ( उत्तर प्रदेश) देश की माटी, महके पल-पल मुंबई के रॉयल्टी प्राप्त कवि श्री रामकेश एम० यादव जी की पुस्तक ‘मिट्टी की सुगंध’ मेरे सामने है, पढ़ने की शुरुआत जब मैंने की तो मैं राष्ट्रभक्ति की गंगा में डुबकी…

Nav Arsh ki pakhi

नवअर्श के पाँखी | पुस्तक समीक्षा

  पुस्तक समीक्षा-  नवअर्श के पाँखी “– नव क्षितिज की तलाश में।* समीक्षक –  प्रो. (डॉ.) विजय महादेव गाडे शोध निर्देशक एवं अध्यक्ष हिन्दी विभाग बाबासाहेब चितळे महाविद्यालय, भिलवडी ता. पलूस, जि. सांगली (महाराष्ट्र) ” रचनाकार की मौलिकता केवल शैली की नवीनता में नहीं,  उसके साथ चिंतन की दिशा और आस्था में भी है।” –             …

Dekho main Gaon tha

देखो मैं गांव था | Dekho main Gaon tha

“देखो मैं गाँव था” – सुंदर और जीवंत  पुस्तक समीक्षा Book review by: Dr.  Sunita Tripathi  बहुत ही सुंदर और जीवंत… पढ़ना शुरू किया तो रुकने का मन ही नहीं हो रहा था । भक्ति प्रेम जीवन संघर्ष बहुत सारे रंग एक साथ देखने को मिले । जितनी भी प्रशंसा की जाए कम है। हर…

संपादकीय बाल विश्व

संपादकीय बाल विश्व

“हमारी ही मुट्ठी में आकाश सारा। जब भी खुलेगी चमकेगा तारा।।” इन नन्हें- मुन्ने देश के कर्णधारों की मुट्ठी में तारों सी चमकीली ख्वाहिशें बंद है और उन सपनों को उड़ान देने के लिए हम सबके साथ, मार्गदर्शन, सहयोग, स्नेह, अपनत्व की आवश्यकता है। इस अनगढ़ मिट्टी को संस्कारों से गढ़ना है और इस तरह…