चाहत | Chaahat
चाहत
( Chaahat )
चाहत के मौन गलियारों में, नेह का मृदुल स्पंदन
उर तरंग नवल आभा,
प्रसून सदृश मुस्कान ।
परम स्पर्शन दिव्यता,
यथार्थ अनूप पहचान ।
मोहक स्वर अभिव्यंजना,
परिवेश सुरभि सम चंदन ।
चाहत के मौन गलियारों में, नेह का मृदुल स्पंदन ।।
अनुभूति सह अभिव्यक्ति ,
मिलन अहम अभिलाषा ।
कृत्रिमता विलोपन पथ,
प्रस्फुटित नैसर्गिक भाषा।
अंतर्नाद मंगल मधुर,
नैतिकता व्यवहार मंडन ।
चाहत के मौन गलियारों में ,नेह का मृदुल स्पंदन ।।
हर पल हर आहट पर,
भव्यता अथाह अवतरण ।
कल्पना मूर्त रूप अल्पना ,
आनंद असीम परिसंचरण ।
मुखमंडल अति ओज प्रभा,
पुनीत दर्शन अनंत वंदन ।
चाहत के मौन गलियारों में, नेह का मृदुल स्पंदन ।।
सुबह शाम निशि दिन,
हिय वसित एक ही रूप।
धूप छांव बिंब परिलक्षित,
अनुपम मोहिनी प्रतिरूप ।
अभिस्वीकृति प्रस्ताव संकेतन,
प्रेम अनुबंध आदर अभिनंदन ।
चाहत के मौन गलियारों में ,नेह का मृदुल स्पंदन ।।
नवलगढ़ (राजस्थान)