चापलूसी एक हूनर | Chaaploosi par kavita
चापलूसी एक हूनर
( Chaaploosi ek hoonar )
चापलूसी भी एक कला है जो चमचागिरी कहलाती।
सत्ता के गलियारों में यह नेताओं को बहुत लुभाती।
चापलूसी के दम पे कई शहरों में ठेकेदार बन आए।
मीठी चाशनी में भीगे शब्द मोहक रसीले खूब भाए।
चमचों की संगठित टीम चापलूसी का हुनर रखते।
दूध मलाई राजसी ठाठ जीवन का आनंद चखते।
दुनिया भर के ऐशो आराम चमचागिरी से जब आए।
वाह वाही जीहजूरी चापलूस चुनावों में रंग दिखलाये।
बड़ी-बड़ी लच्छेदार बातें बहती वाणी की रसधार।
चापलूसी एक हुनर है रखे चमचागिरी से प्यार।
नेतागिरी का जुनून चढ़ा कुर्सी का लालच चर्राया।
नेताओ का चमचा वही जो चापलूसी हूनर पाया।
रचनाकार : रमाकांत सोनी सुदर्शन
नवलगढ़ जिला झुंझुनू
( राजस्थान )
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