चक्र समय का चलता है | Kavita
चक्र समय का चलता है
( Chakra ka samay chalta hai )
परिवर्तन नित निरंतर होता
जग का आलम बदलता है
नई सोच नई उमंगे भर
चक्र समय का चलता हैं
सुख दुख जीवन के पहलू
आंधी तूफान आते जाते
जो लक्ष्य साध कर चलते
व़ो मंजिलों को पा जाते
शनै शनै नर कालचक्र के
हालातों में फिर ढलता है
उत्पति कहीं विनाश लीला
चक्र समय का चलता है
वक्त वक्त की बात होती
समय समय का होता फेर
संकट का जब समय आए
मुश्किलें आ कर लेती घेर
घोर निराशाओ के तम में
आशा का दीप जलता है
भोर का सूरज राह दिखाएं
चक्र समय का चलता है
कठिन परीक्षा रचता काल
अभिमान खंडित करता है
राजा रंक बना फिरता फिर
रंक सिंहासन पद धरता है
पल में जीवन पल में प्रलय
पल पल रूप नया ढलता है
नियति का होता खेल सारा
चक्र समय का चलता है
कवि : रमाकांत सोनी
नवलगढ़ जिला झुंझुनू
( राजस्थान )
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