धूल को फूल बनाने वाले
धूल को फूल बनाने वाले
धूल को फूल बनाने वाले
राग औ रंग सजाने वाले
अब नही साथ निभाने वाले
लाख कसमें वो उठाने वाले
सब खरीद्दार ही निकले देखो
रूह तक आज वो जाने वाले
कर रहे बात यहां उल्फ़त की
दिल में वो आग लगाने वाले
कुछ नही पास हमारे अब है
रंक से आज बताने वाले
क्या लिया लूट बताओ हमसे
लाश के ढेर लगाने वाले
तू मिला देख प्रखर से आखें
क्यों छुपा आज डराने वाले
( बाराबंकी )
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