ढूंढ़ता क्या है तू दिल के पत्थरों में
ढूंढ़ता क्या है तू दिल के पत्थरों में
ढूंढ़ता क्या है तू दिल के पत्थरों में !
प्यार नहीं है इन ज़रा भी जाहिलों में
नफ़रतों की सिर्फ़ होती बातें है
है नहीं उल्फ़त ज़रा भी इन घरों में
झूठ आयेगा नज़र हर साफ़ तुझको
देख हर चेहरा ज़रा इन आइनों में
नफ़रतों की शबनमी टपकी गुलों पे
प्यार की वो अब नहीं ख़ुशबू गुलों में
मत करो बरबाद अपनी जिंदगी यूं
है भरा हर पल नशा इन बोतलों में
दोस्ती में देखता पैसा हर कोई
कौन देता साथ देखो मुश्किलों में
कैसे भूलूं मैं उसे दिल से भला अब
रहता है मेरे आज़म वो हर पलों में
️
शायर: आज़म नैय्यर
(सहारनपुर )
यह भी पढ़ें :