दिल जब ग़म से पूर हुआ है
दिल जब ग़म से पूर हुआ है
दिल जब ग़म से पूर हुआ है।
हिम्मत से भरपूर हुआ है।।
आग से ग़म की जो भी गुजरा।
कुंदन जैसा नूर हुआ है।।
ग़म को जो वरदान समझता।
यश फैला मशहूर हुआ है।।
फैला जीवन में उजियारा।
तम सारा फिर दूर हुआ है।।
जिसको ग़म ने खूब तराशा।
वो ही कोहेनूर हुआ है।।
ग़म को खुशी से झेला जिसने।
विजय वो ज़रूर हुआ है।।
वजनी होते शे’र तभी जब।
शायर ग़म से चूर हुआ है।।
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