दूरियां कितनी रक्खी प्यार हो ही गया
दूरियां कितनी रक्खी प्यार हो ही गया
( Dooriyaan Kitni Rakkhi Pyar Ho Hi Gaya )
दूरियां कितनी रक्खी प्यार हो ही गया
इक हंसी से यारों इजहार हो ही गया
वो चाहे दूर ही क्यों न फ़िर हो लेकिन
आज वो अपना दिलदार हो ही गया
दूरियां रक्खी जिससें मगर रोज़ ही
वो अपना इक हंसी यार हो ही गया
कोशिश की उससे नजरें मिले ही नहीं
आंखों से प्यार का वार हो ही गया
चाहते थे नहीं सिलसिले प्यार के
वो उससे प्यार इक़रार हो ही गया
ऐसा उलझी किसी से आंखों से आंखें
उस हंसी से आज़म प्यार हो ही गया
️?
शायर: आज़म नैय्यर
(सहारनपुर )
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