मित्रता | Friendship poem in Hindi
मित्रता
( Mitrata )
सभी को रहती है मित्रता की आस,
मित्र बिन जीवन बनता अधूरी सांस;
मित्रों के साथ मिलता सुखद एहसास,
अनुभूतियां रहती है सदैव आसपास।
लड़ते झगड़ते रहना फिर भी साथ-साथ,
हर मुश्किल में मित्र आगे बढ़ाता है हाथ,
कभी नहीं छोड़े श्रीकृष्ण सुदामा का साथ,
हर मुसीबत में मिलती है तिनके की साथ।
सुख दुःख में सदा बनता है भागीदार,
अटूट बंधन जीवन में सदा रहा रंगदार;
हकीकत एक और दूसरा परछाई में यार,
मित्रता की रीत युगों से बनी है बहारदार।
रखते हैं खंजर कई मित्रता की आड़ में,
फिर भी मित्रता बिन कुछ नहीं जीवन में;
कर लेते हैं परख जो मित्रता की जीवन में,
नहीं होंगे पराजित वह कभी भी जिंदगी में।
आनंदा आसवले, मुंबई
पत्ता: साईभक्ती चाल, रूम नं. 1, आनंद नगर, अप्पा पाड़ा,
कुरार विलेज, मालाड (पूर्व) मुंबई-400097
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सबसे सघन विश्वसनीय आधार है मित्रता,
जीवन में एक अनूठा उपहार है मित्रता ।
दुख सुख में जो साथ दे,कंधों पर हाथ दे ,
ऐसा उत्तम मानव व्यवहार है मित्रता।।
जीवन में न जाने कितने रिश्ते खास होते हैं ,
पर मित्रता के बिना सारे रिश्ते उदास होते हैं।
जब छोड़ देते हैं दुःख में साथ सभी अपने ,
तब सहारा देने के लिए मित्र ही पास होते हैं।।
कृष्ण सुदामा की मित्रता का जग गान करता है ,
ऐसा मित्र मिले तो कौन नहीं मान करता है।
एक राजा है एक रंक है, मित्रता क्या जाने,
बस दो मुट्ठी चावल में सब कुछ दान करता है।।
मित्रता में ही राम ने बाली से रण किया ,
विभीषण को भी राजा बनाने का प्रण किया।
बंदर भालूओ ने भी खूब मित्रता निभाई ,
जब रावण ने माता सीता का हरण किया।।
जगत में मित्रता का कोई मोल नहीं होता ,
विश्वास समर्पण का ऐसा घोल नहीं होता।
रिश्ते नाते बहुत होते हैं जीवन में हमारे,
पर मित्रता जैसा नाता अनमोल नहीं होता ।।
कवि : रुपेश कुमार यादव ” रूप ”
औराई, भदोही
( उत्तर प्रदेश।)