ग़ैर हूँ ऐसा कुछ बोलकर वो गया | Gair hoon ghazal
ग़ैर हूँ ऐसा कुछ बोलकर वो गया
( Gair hoon aisa kuch bol kar wo gaya )
ग़ैर हूँ ऐसा कुछ बोलकर वो गया
नफ़रतों का जहर घोलकर वो गया
इक झलक और दीदार उसका करा
रब कभी जो खिड़की खोलकर वो गया
प्यार की गुफ़्तगू की नहीं है उसनें
तल्ख़ बातें मुझसे बोलकर वो गया
जो कभी भी नहीं दिल को मंजूर है
प्यार का इस तरह मोल कर वो गया
जो कभी भी नहीं दिल को मंजूर है
प्यार का इस तरह मोल कर वो गया
बात दिल की नहीं कह सकता वो आज़म
कल निगाहें इधर झोलकर वो गया
शायर: आज़म नैय्यर
(सहारनपुर )
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