ग़म के मारों को खबर क्या दिल्लगी क्या चीज है

ग़म के मारों को खबर क्या दिल्लगी क्या चीज है

ग़म के मारों को खबर क्या दिल्लगी क्या चीज है

 

ग़म के मारों को खबर क्या दिल्लगी क्या चीज है।

लोग जिंदा-दिल समझ पाये हँसी क्या चीज है।।

 

दिल मिला हो जिससे गहरा उससे दूरी फिर कहां।

दिल लगाकर हमने जाना आशिकी क्या चीज है।।

 

इक नशा सा छा रहा है दिल पे तुमको देखकर।

तेरे आगे इस जहां में मयकशी क्या चीज है।।

 

तुम रहो ग़र साथ मेरे हर इक सफर में हमसफर।

नाप डालूं आसमाँ भी ये जमीं क्या चीज है।।

 

चांदनी तो चांद से ही मिलती है सबको यहां।

जान पाये कब सितारे रोशनी क्या चीज है ।।

 

दिल को भाती ही नहीं है अब यहां सूरत कोई।

तुम को देखा हमने जाना दिलनशी क्या चीज है।।

 

सुन के ग़ज़ले”कुमार” दिल पे छा रहा है इक नशा।

बे-दिलों को क्या समझ के शायरी क्या चीज है।।

 

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कवि व शायर: Ⓜ मुनीश कुमार “कुमार”
(हिंदी लैक्चरर )
GSS School ढाठरथ
जींद (हरियाणा)

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दिल जब ग़म से पूर हुआ है

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