राम ही राम सब | Geet Ram hi Ram Sab
राम ही राम सब
( Ram hi Ram Sab )
राम ही राम सब नित्य रटते रहे ।
राम सबके हृदय नित्य बसते रहे ।।
राम ही राम सब …
राम से कौन है देख जग में बड़ा ।
कौन सम्मुख उनके हुआ है खड़ा ।।
आज विपदा वही हर भगत की हरे ।
आज भज लो सभी कष्ट कटते रहे ।।
राम ही राम सब …..
राम ने भक्त के अवगुणो को हरा ।
आज देकर शरण कर दिया है कृपा ।।
हैं सभी राम धुन में रमे इस तरह ।
फूल से मुख सभी आज खिलते रहे ।।
राम ही राम सब…
प्रभु चरण हो जहाँ भक्त भी हो वहाँ ।
भक्त ही कष्ट के हो निवारण यहाँ ।।
आज वह भक्त सुन एक हनुमान है ।
देख जिनके चरण चिन्ह तकते रहे ।।
राम ही राम सब …
राम भजते रहो ये अमर नाम है ।
मान इनको चलें आज शिवराम है
राम के आज आदर्श पर सब चलो ।
बात ये वीर हनुमान कहते रहे
राम ही राम सब …..
राम ही राम सब नित्य रटते रहे ।
राम सबके हृदय नित्य बसते रहे ।।
महेन्द्र सिंह प्रखर
( बाराबंकी )
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