रावण का अनुसरण

रावण का अनुसरण | Geet Ravan ka Anusaran

रावण का अनुसरण

( Ravan ka Anusaran )

अपना घर जो फूक चुके है
औरों का भी फूकेंगें।
अपने कदमों से ही ये
नष्ट सभी कुछ कर देगें।।
अपना घर जो……।।

अपने अहिंम् के चलते ही ये
किसी की नही सुनते है।
अपनी अक्षमता का श्रेय
औरों के सिर पर मड़ते है।
जो अपनों का हो न सका वो
औरों का क्या होगा अब।
अपना घर जो फूक चुके है
औरों का भी फूकेंगे।।

मानव होकर जो खुदको
भगवान समझ बैठे है।
मन मर्जी अपनी चलाकर
रावण का अनुसरण कर रहे है।
खोकर राम की पहचान को
खुद रावण ये बन गये है।
अपना घर जो फूक चुके है
औरों का भी फूकेंगे।।

चारों तरफ हा हा कर मची है
फिर भी अंधा बेहरा बना है।
रस्सी जल गई देखो इसकी
फिर भी बल अभी गया नही।
अभी क्या ये देवी शक्ति का
फिर से इंतजार कर रहा है।
अपना घर जो फूक चुके है
औरों का भी फूकेंगे..।।

Sanjay Jain Bina

जय जिनेंद्र
संजय जैन “बीना” मुंबई

यह भी पढ़ें :-

आखरी सत्य | Kavita Aakhri Satya

Similar Posts

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *