Geet sathi haath badhana

साथी हाथ बढ़ाना | Geet sathi haath badhana

साथी हाथ बढ़ाना

( Sathi haath badhana )

 

प्रीत तुम्हारी मन को भाती, प्रीत जरा निभाना।
साथी हाथ बढ़ाना, साथी हाथ बढ़ाना।

 

वृंदावन सा हृदय हो गया, गोकुल सा अफसाना।
आंधी तूफां मुश्किलों का, सुख सागर बन जाना।
बजे बांसुरी जब मोहन की, झूम झूमकर गाना।
साथी हाथ बढ़ाना, साथी हाथ बढ़ाना।

 

महक उठा मधुमास सारा, खुशबू जग बिखराना।
दया प्रेम साहस लेकर, प्यार के मोती लुटाना।
फागुन की मस्ती में नाचे, चंग की थाप बजाना।
साथी हाथ बढ़ाना, साथी हाथ बढ़ाना।

 

होली के रंग लेकर आओ, सद्भावों की धारा।
झूम झूमकर नाचे मिलकर, रंगीला देश हमारा।
तेरा मेरा प्रेम अजर है, प्रीत रंग भर जाना।
साथी हाथ बढ़ाना, साथी हाथ बढ़ाना।

 

तीज त्यौहारों का मौसम, यहां रहता आता जाता।
लहलहाती सरसों पीली, केसरिया लहराता।
वीरों की धरा हमारी, श्रद्धा से शीश झुकाना।
साथी हाथ बढ़ाना, साथी हाथ बढ़ाना।

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कवि : रमाकांत सोनी

नवलगढ़ जिला झुंझुनू

( राजस्थान )

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