बहुत बेचैन हूँ | Ghazal Bahut Bechain Hoon
बहुत बेचैन हूँ
( Bahut Bechain Hoon )
सुकूँ दिल में यहाँ रहता नहीं है?
ख़ुशी का जब यहाँ साया नहीं है
बहुत बेचैन हूँ उसके लिये मैं
अभी तक शहर से लौटा नहीं है
उसे मैं कह सकूं कुछ बात दिल की
मुझे वो राह में मिलता नहीं है
उसे गुल देखकर पचता रहा हूँ
कभी दिल से उसे परखा नहीं है
मिले अब दोस्त कोई चाहता हूँ
अकेले व़क्त अब कटता नहीं है
उसे दूँ फूल आज़म प्यार का जो
मुझे ऐसा मिला मौक़ा नहीं है