Ghazal Phool khushboo husn chehra

फूल खुशबू हुस्न चेहरा जाम है तू | Ghazal Phool khushboo

फूल खुशबू हुस्न चेहरा जाम है तू

( Phool khushboo husn chehra jaan hai tu )

 

 

फूल ख़ुशबू हुस्न चेहरा जाम है तू

प्यार का मेरी सकूं आराम है तू

 

बैठ मत नाराज़ होकर रोज़ मुझसे

प्यार का मेरे सनम खा आम है तू

 

किस तरह दे दूं वफ़ा दिल से भला मैं

कम लगाता जो वफ़ा के  दाम है तू

 

याद ने तेरी नहीं सोने दिया है

छोड़ कल तन्हा गया जब शाम है तू

 

कर लिए कर बात आज़म से कभी तो

 रोज़ करता ख़ूब हमदम  काम है तू

 

 

शायर: आज़म नैय्यर

(सहारनपुर )

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