शिकायत न शिकवा | Ghazal Shikayat na Shikwa
शिकायत न शिकवा
( Shikayat na Shikwa )
चलो अब रहा तुम से वादा हमारा,
पलटकर ना तुमको देखेंगे दोबारा !
मुसीबत में डाले खुदी को खुद से,
दिखाया मुहब्बत ने कैसा नज़ारा !
टूटे है कहाँ से कैसे हम बताये,
हुआ कैसा दिल का ख़सारा ख़सारा !
नहीं है शिकायत न शिकवा किसी से,
करें हम किसी से भला क्यों किनारा !
मिटा देना दिल से भरम ये सनम तुम,
चलेगा ना तुम बिन ‘धरम’ का गुज़ारा !!